“ जन्म से जुड़ी लकीरें ” गुजरात के एक छोटे से गाँव संधियावाड़ा में ठंडी हवा बह रही थी। आसमान में चमकते तारे किसी अज्ञात संदेश की तरह जगमगा रहे थे। यह वही रात थी, जब अर्जुन का जन्म हुआ। उसकी माँ सुमित्रा दर्द से काप रही थी, और उसका पिता कैलाश बेचैनी से दरवाजे के बाहर टहल रहा था। रात के ठीक बारह बजे अर्जुन की पहली किलकारी गूँजी। पर यह कोई साधारण रात नहीं थी। गाँव के सबसे बुज़ुर्ग साधु, बाबा महेश्वरनाथ, जो भविष्य देखने के लिए जाने जाते थे, अचानक घर के बाहर आ खड़े हुए। उन्होंने अर्जुन की नन्ही हथेलियों को देखकर कहा - “इस बालक की लकीरें विचित्र हैं… इसकी तक़दीर हर बार बदलती रहेगी!”। सुमित्रा और कैलाश ने पहले इसे अंधविश्वास समझा, लेकिन जैसे-जैसे अर्जुन बड़ा होता गया, वह देख नहीं पाए कि उसकी ज़िंदगी में बार-बार कुछ अनोखा हो रहा था...
जादुई लकीरें - 1
जादुई लकीरें : “ एक रहस्यमय कहानी ”अध्याय 1: “ जन्म से जुड़ी लकीरें ”गुजरात के एक छोटे से संधियावाड़ा में ठंडी हवा बह रही थी। आसमान में चमकते तारे किसी अज्ञात संदेश की तरह जगमगा रहे थे। यह वही रात थी, जब अर्जुन का जन्म हुआ। उसकी माँ सुमित्रा दर्द से काप रही थी, और उसका पिता कैलाश बेचैनी से दरवाजे के बाहर टहल रहा था।रात के ठीक बारह बजे अर्जुन की पहली किलकारी गूँजी। पर यह कोई साधारण रात नहीं थी। गाँव के सबसे बुज़ुर्ग साधु, बाबा महेश्वरनाथ, जो भविष्य देखने के लिए जाने जाते थे, अचानक ...Read More