अजीब-सी शुरुआत

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रात के अंधेरे में, जब पूरा शहर गहरी नींद में डूबा हुआ था, तभी एक झटके से विद्युत कटौती हो गई। सुदूर एक छोटे से गांव में स्थित एक पुरानी हवेली के अंदर एक अजीब सी हलचल मच गई। हवेली के चारों ओर एक रहस्यमयी सन्नाटा फैला हुआ था। हवा में घुली खामोशी एक अनजाने डर का आभास करा रही थी। राजवीर, एक युवा पत्रकार, उस रात शहर से दूर उसी गांव में था। वह किसी पुराने रहस्य की खोज में गांव आया था, जिसके बारे में उसने कुछ पुरानी पुस्तकों में पढ़ा था। किताबों में लिखा था कि इस गांव की हवेली में कुछ ऐसा छिपा है, जो सदियों से अंधेरे में है। हवेली के बारे में लोगों की बातें सुनकर राजवीर के मन में एक अजीब उत्सुकता जाग गई थी। वहां रहने वाले लोग हवेली को श्रापित मानते थे। कहते थे कि जो भी व्यक्ति उस हवेली में गया, वह वापस नहीं लौटा। राजवीर ने इन कहानियों को हमेशा बकवास समझा था, लेकिन अब वह खुद उस रहस्य से पर्दा उठाना चाहता था।

Full Novel

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अजीब-सी शुरुआत - भाग 1

अध्याय 1:एक दिन कुछअजीब-सी शुरुआत...रात के अंधेरे में, जब पूरा शहर गहरी नींद में डूबा हुआ था, तभी एक से विद्युत कटौती हो गई। सुदूर एक छोटे से गांव में स्थित एक पुरानी हवेली के अंदर एक अजीब सी हलचल मच गई। हवेली के चारों ओर एक रहस्यमयी सन्नाटा फैला हुआ था। हवा में घुली खामोशी एक अनजाने डर का आभास करा रही थी।राजवीर, एक युवा पत्रकार, उस रात शहर से दूर उसी गांव में था। वह किसी पुराने रहस्य की खोज में गांव आया था, जिसके बारे में उसने कुछ पुरानी पुस्तकों में पढ़ा था। किताबों में लिखा ...Read More

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अजीब-सी शुरुआत - भाग 2

अध्याय 2:हवेली का श्रापराजवीर ने जब उस किताब का पहला पन्ना पलटा, तो उसके भीतर छिपे रहस्यों की गहराई उसे पूरी तरह से जकड़ लिया। किताब के पन्नों पर लिखी इबारतें एक अनजानी भाषा में थीं, जिसे वह समझ नहीं पा रहा था। लेकिन उन शब्दों के बीच छिपे चित्र और प्रतीक उसे एक अलग ही कहानी बयां कर रहे थे।तभी, हवेली के अंदर एक अजीब सी गूंज उठी। यह गूंज किसी जीवित प्राणी की आवाज नहीं थी, बल्कि यह मानो दीवारों से निकल रही हो। राजवीर ने चारों ओर देखा, लेकिन उसे कुछ नजर नहीं आया। वह समझ ...Read More

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अजीब-सी शुरुआत - भाग 3

**अध्याय 3: ताबीज का रहस्य**(जारी...)---अध्याय 3: ताबीज का रहस्यराजवीर ने जैसे ही हवेली से बाहर कदम रखा, उसे महसूस कि उसके आस-पास का माहौल अचानक से बदल गया है। बाहर का वातावरण बेहद शांत था, लेकिन इस शांति में एक भयानक सन्नाटा छिपा हुआ था। राजवीर ने उस ताबीज को अपने हाथ में कस कर पकड़ रखा था, लेकिन उसके मन में उठ रहे सवाल उसे बेचैन कर रहे थे।वह समझ नहीं पा रहा था कि इस ताबीज का क्या करना चाहिए। क्या उसे वापस हवेली में छोड़ देना चाहिए? लेकिन कहीं यह ताबीज ही उस रहस्य की कुंजी ...Read More

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अजीब-सी शुरुआत - भाग 4

अध्याय 4: अंतिम अनुष्ठान**राजवीर का दिल तेजी से धड़क रहा था। वह समझ नहीं पा रहा था कि अचानक हो गया। ताबीज की शक्ति ने पूरे कक्ष को अपनी गिरफ्त में ले लिया था, और पुजारी के मंत्र भी अब उसकी शक्ति को नियंत्रित करने में नाकाम हो रहे थे।कक्ष में अंधकार इतना घना हो गया था कि हाथ को हाथ नहीं सूझ रहा था। तभी, राजवीर ने महसूस किया कि उसके आसपास कोई अदृश्य उपस्थिति है। यह उपस्थिति पहले की तरह केवल हवा में घुली हुई नहीं थी, बल्कि अब वह महसूस कर सकता था कि वह उसके ...Read More

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अजीब-सी शुरुआत - भाग 5

अध्याय 5: सत्य का सामना राजवीर अब हवेली की ओर वापस जा रहा था, लेकिन इस बार मन में कोई भय नहीं था। उसके कदम दृढ़ थे, और उसके भीतर एक नई शक्ति का संचार हो चुका था। वह जानता था कि उसे क्या करना है और कैसे करना है। हवेली के रहस्यों को उजागर करने के लिए वह पूरी तरह तैयार था।हवेली के पास पहुंचते ही राजवीर को महसूस हुआ कि हवेली अब भी वही भयानक उपस्थिति बनाए हुए है, लेकिन अब वह इसके प्रभाव में नहीं था। उसने दरवाजा खोला और अंदर प्रवेश किया। हवेली ...Read More

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अजीब-सी शुरुआत - भाग 6

अध्याय 6: नए सफर की शुरुआतराजवीर के कदम अब पहले से कहीं अधिक हल्के और मुक्त थे। हवेली के से जूझने के बाद, उसने न केवल अपने डर को मात दी थी, बल्कि अपने भीतर एक नई शक्ति और साहस भी महसूस किया। वह अब एक बदले हुए इंसान के रूप में गांव की ओर लौट रहा था।गांव में पहुंचते ही राजवीर को लोगों की जिज्ञासु निगाहें महसूस हुईं। उन्होंने देखा कि राजवीर का चेहरा बदला हुआ था—एक तरह की शांति और गहराई उसमें झलक रही थी। लेकिन राजवीर ने उनके सवालों का जवाब देने की बजाय सीधे अपने ...Read More