टोरंटो (कनाडा) यात्रा संस्मरण

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हमने अपने जीवन काल में भारत के अनेक शहरों एवं पर्यटन स्थलों का भ्रमण ट्रेन व बस माध्यम से किया। पर विदेश यात्रा जाने का यह पहला अवसर था वह भी हवाई जहाज से। हमारी यह उड़ान हवाई जहाज द्वारा दिल्ली से कनाडा के शहर टोरेन्टो के लिए थी, वह भी पूरे पाँच माह के लिए। यात्रा सप्ताह दो सप्ताह की होती तो कोई परेशानी न थी। किन्तु पूरे पाँच माह के लिए, वह भी विदेश यात्रा, मेरे लिए रोमांच से भरपूर साथ ही साथ हर्ष और चिन्ता का विषय तो था ही। एक तो विदेश यात्रा तो दूसरी ओर एक अनजान देश के लिए रवानगी वह भी हवाई जहाज से।

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टोरंटो (कनाडा) यात्रा संस्मरण - 1

0टोरेन्टो (कनाडा) यात्रा संस्मरण मनोज कुमार शुक्ल ‘‘मनोज ’’यात्रा की तैयारी हमने अपने काल में भारत के अनेक शहरों एवं पर्यटन स्थलों का भ्रमण ट्रेन व बस माध्यम से किया। पर विदेश यात्रा जाने का यह पहला अवसर था वह भी हवाई जहाज से। हमारी यह उड़ान हवाई जहाज द्वारा दिल्ली से कनाडा के शहर टोरेन्टो के लिए थी, वह भी पूरे पाँच माह के लिए। यात्रा सप्ताह दो सप्ताह की होती तो कोई परेशानी न थी। किन्तु पूरे पाँच माह के लिए, वह भी विदेश यात्रा, मेरे लिए रोमांच से भरपूर साथ ही साथ हर्ष और चिन्ता का विषय ...Read More

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टोरंटो (कनाडा) यात्रा संस्मरण - 2

साहित्यक मित्रों द्वारा बिदाई गोष्ठी हमारी विदेश यात्रा की खबर हमारे साहित्यकार मित्रों तक जा पहुँची थी। हमारे अत्यधिक मित्र श्री विजय तिवारी ‘किसलय’ जी ने अपने घर पर ‘साहित्य संगम’ संस्था के बैनर तले एक कार्यक्रम रख लिया। इस कार्यक्रम में मशहूर कवि शायर श्री इरफान झांसवी, श्री विजय तिवारी ‘किसलय’, बुंदेली कवि श्री द्वारका गुप्त ‘गुप्तेश्वर’, कुशल मंच संचालक श्री राजेश पाठक ‘प्रवीण’, श्री विजय नेमा ‘अनुज’ एवं श्री सुरेश सोनी ‘दर्पण’ आदि उपस्थित थे। सभी ने अपने अंर्तमन भावों से काव्य सुमनों की माला को गूंथकर हमारे गले में पहनायी। इस अविस्मरणीय याद को सहेज पाना ...Read More

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टोरंटो (कनाडा) यात्रा संस्मरण - 3

इंदिरा गांधी इंटरनेशनल हवाई अड्डे पर रात्रि के लगभग 2.40 को मेरे प्लेन की उड़ान थी। लम्बी इंक्वारी कई से गुजरने के बाद समय तो भागता ही नजर आ रहा था। अपना बड़ा लगेज तो जमा कर दिया। अब विभिन्न काउन्टरों पर चेकिंग का काम शेष रह गया था जिसमें काफी समय व भागदौड़ करनी पड़ रही थी। वरिष्ठजनों एवं रोगग्रस्त लोगों के लिए व्हील चेयर की सुविधा रहती है। इस सुविधा को प्राप्त करने के लिए पूर्व सूचना और कुछ चार्ज भी देना पड़ता है। इसका सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि विभिन्न काउन्टर पर लगने वाली ...Read More

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टोरंटो (कनाडा) यात्रा संस्मरण - 4

कनाडा की धरती पर गेट के बाहर हमारा बेटा गौरव हमारी प्रतीक्षा करते दिखा। जितना हमारे मन में बेटे मिलने की उत्सुकता और उत्साह की हिलोरें उठ रही थीं। उतना ही सामने खड़े गौरव के चेहरे के भाव को देख कर अहसास हो रहा था। उसके मन का भी वही हाल था। आज छोटे बेटे गौरव ने हमारी इस यात्रा के गौरव पूर्ण क्षणों को हमारे अंतस मन में संजोने का इस अकल्पनीय सपने को साकार कर दिखाया था। वह भी हमारे विदेश में पाँच माह के लम्बे प्रवास की योजना के साथ। मैं उसके साथ टैक्सी में घर ...Read More

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टोरंटो (कनाडा) यात्रा संस्मरण - 5

कचरे का प्रबंधन बहुमंजिला इमारतों से निकलने वाले कचरे को ठिकाने लगाने के लिए बड़ी अच्छी व्यवस्था कर रखी हर बहुमंजिला इमारत के हर फ्लोर में कचरे के लिए एक छोटा बाथरूम टाईप कमरा बनाया गया है। इसे कचरा केबिन कहते हैं। इसमें दरवाजे लगे रहते हैं। यह होल पाईप सीधे नीचे की मंजिल में जहाँ कचरा कंटेनर रखा होता है, तक जाता है। इस तरह कचरा पाईप के जरिए नीचे की मंजिल में रखे स्टील के बड़े कंटेनर तक जुड़ा रहता है, इसमें प्रत्येक मंजिल के लोग घरों का कचरा छोटे पोलिथिन में भर भर कर डालते रहते ...Read More

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टोरंटो (कनाडा) यात्रा संस्मरण - 6

यात्रा संस्मरण की प्रेरणा जब मैं यहाँ आने की तैयारी कर रहा था, तब टेलीविजन के किसी कार्यक्रम में दिन हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने अपने उद्बोधन में कहा था कि आप जब विदेश जाते हैं, तो अपने यात्रा संस्मरणों को अवश्य लिखें। इससे एक देश दूसरे देश के बारे में अधिक से अधिक पढ़कर जानने समझने की कोशिश करता है इससे आपस में एक दूसरे से नजदीकियाँ बढ़तीं हैं। विश्वबंधुत्व की भावना बढ़ती है। लोगों के द्वारा लिखे अपने संस्मरण भावनात्मक रूप से एक दूसरे के दिलों को स्पर्श करेंगे। इससे हमारे देश में और समाज में ...Read More

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टोरंटो (कनाडा) यात्रा संस्मरण - 7

भारतीयों की पहली संस्था वर्ष १९०७ में कनाडा में पहली बार भारतीय मूल के लोगों की एक संस्था रजिस्टर्ड जिसका नाम ‘वैंकुअर खालसा दीवान’ सभा था। प्रारंभ में इस सभा का कार्य क्षेत्र धार्मिक था, परंतु कुछ समय के बाद अपने समुदाय के लोगों पर हो रहे अत्याचार का विरोध करना भी इनके कार्यक्रम में शामिल हो गया। इसी साल संयुक्त राज्य अमेरिका से होकर एक क्रांतिकारी बंगाली सज्जन वैंकुअर पहुँचे जिनका नाम तारक नाथ था। इन्होंने ‘हिंदुस्तानी एसोसिएशन’ का गठन किया और एक समाचार पत्र ‘आजाद भारत’ के नाम से निकाला था। ये एक समर्पित स्वतंत्रता सेनानी थे। ...Read More

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टोरंटो (कनाडा) यात्रा संस्मरण - 8

भारत की आजादी के बाद भारतीयों की संख्या बढ़ी भारत वर्ष के आजाद होने के बाद १९५१ में भारत के अनुरोध पर कनाडा की सरकार ने भारत से आने वाले अप्रवासियों के लिए १५० की संख्या निर्धारित की। इसके अलावा कनाडा में रह रहे अप्रवासियों को अपनी पत्नी और बच्चों को बुलाने की छूट मिली फिर यह संख्या बढ़ती चली गई। वर्ष १९७१ से वर्ष १९८२ के बीच में करीब १,७०,००० भारतीय अप्रवासी के रूप में कनाडा आये। अब यह संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है। आज जो भारतीय अप्रवासी कनाडा में हैं उनमें डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक, व्यवसायी, ...Read More

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टोरंटो (कनाडा) यात्रा संस्मरण - 9

पार्किंग पेड मशीनें जहाँ पार्किंग की व्यवस्था है, वहाँ सड़क के किनारे ही अनेक पार्किंग पेड मशीनें कारपोरेशन की रहतीं हैं। कार चालक उसमें नियमानुसार राशि डालते हैं और कूपन लेकर कार में अंदर पारदर्शी काँच के पास रख देते हैं। यह व्यवस्था प्रायः सभी सड़कों में भी लागू हैं। इसके लिए कोई कर्मचारी नहीं रखा जाता, न ही कोई वाहन स्टैंड की ठेकदारी व्यवस्था होती है। वाहन मालिकों से सीधे पार्किंग पेड मशीन के माध्यम से कारपोरेशन को आय हो जाती है। जुर्माने की रकम ज्यादा होने से सभी दिशा निर्देशों का पालन करते हैं। यहाँ की पुलिस ...Read More

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टोरंटो (कनाडा) यात्रा संस्मरण - 10

डाॅ. सरन घई जी के जन्म दिवस एवं सेवा निवृति पर सप्रेम भेंट......शहर टोरेंटो ब्राम्टन.........शहर टोरेंटो ब्राम्टन, भारत का यह अनुभव हुआ, नहीं लगा परदेश।। अनजाने इस देश में, अनजानी थी राह। मिले आपसे खुश हुये, वर्षों की थी चाह।।मैं परदेशी था यहाँ, अब अपनों के बीच।गले मिले हमसे सभी,दिया प्रेम को सींच।। प्रभु की कृपा अपार है, यहाँ दिखे भगवान। अपनेपन की चाह से, यहाँ बनेे मेहमान।।अनुरागी हैं सरन घई, खुशी हुयी भरपूर।रिद्धि सिद्धि गणपति यहाँ, करें कष्ट सब दूर।। पंद्रह जून की शुभ घड़ी, आती है ...Read More

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टोरंटो (कनाडा) यात्रा संस्मरण - 11

‘‘फेस्टिवल आफ इंडिया’’ ‘जगन्नाथ रथ यात्रा उत्सव’ 18 जुलाई 2015 को ‘‘फेस्टिवल आफ इंडिया’’ में भाग लेने का एक अवसर मिला। हम लोग सपरिवार कार्यक्रम बना चुके थे। नन्हें वेदांश को चार चके की ट्राली में बैठालकर सभी बस व ट्रेन की सफर करते हुए वहाँ जा पहुँचे। बताया गया कि यह उत्सव प्रति वर्ष ‘हरे कृष्णा सेंटर’ द्वारा दो दिवसीय आयोजित होता है। ‘लेक ओंटोरियो’ के बीचों बीच चारों ओर पानी से घिरे एक बड़े टापू में आयोजित होता है। पानी-जहाज की टिकिट के लिए लोगों की लम्बी लम्बी कतारें नजर आ रहीं थीं। भारी संख्या में भारतीयों ...Read More

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टोरंटो (कनाडा) यात्रा संस्मरण - 12

‘अखिल विश्व हिन्दी समिति’ का वार्षिक कार्यक्रम ‘अखिल विश्व हिन्दी समिति’ का वार्षिक कार्यक्रम 17 अक्टूबर 2015 को ‘विश्व सम्मेलन’ के नाम से सिंधी गुर मंदिर क्वीन पलाटे ड्राइव में था। यह संस्था विश्व के अनेको देशों में है। कनाडा में इसके अध्यक्ष श्री गोपाल बघेल मधु जी हैं, उनका सादर आमंत्रण मिला। हम सपत्नीक बेटे गौरव के साथ उक्त कार्यक्रम में गये। वहाँ अनेक साहित्यकारों से मुलाकात हुयी। वहाँ भोजनोपरांत हमारा विशेष रूप से लखनउ से पधारे मुख्य अतिथि डा. दाउ गुप्त एवं आगरा से डा. भगवान दास जी से सुखद मुलाकात हुयीं। डा. दाउ गुप्त उन विभूतियों ...Read More