जोखिनी

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रात के 12:30 बज रहे थे एक सुनसान पतला सा रास्ता जो कि कब्रस्तान की तरफ जा रहा था उस पर एक नई नवेली सुहाग की चहल कदमी हो रही थी उसके चेहरे पर डर साफ नजर आ रहा था रात का सन्नाटा उसकी हिम्मत को तोड़ने की ताकत रखता था ले फिर भी अपने हाथ में एक छोटी सी काले कपड़े की पोटली लिए वह कब्रस्तान के गेट तक पहुंच गई उसने कब्रस्तान का गेट खोला और अंदर कदम रखा चारों तरफ कब्र ही कब्र और उनके बीच से होती हुई वह सुहागन एक छोटी सी कब्र के करीब पहुंची उसने उस कब्र के पास की थोड़ी सी मिट्टी अपने हाथों से हटाई और उस पोटली को जमीन में दफन कर दिया उसके बाद वो इतनी तेजी से वहां से निकल गई जैसे कि उसके पैरों में पं लग गए उसके कुछ देर बाद ही लाल लहंगा चुनरी पहने अपने चेहरे को घूंघट से छिपाए हाथ में लाल टेन लिए एक दूसरी औरत वहां पहुंची उसने उस पोटली को वापस जमीन से निकाला और फिर लाल टेन उस पर दे मारा |

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जोखिनी - 1

रात के 12:30 बज रहे थे एक सुनसान पतला सा रास्ता जो कि कब्रस्तान की तरफ जा रहा था पर एक नई नवेली सुहाग की चहल कदमी हो रही थी उसके चेहरे पर डर साफ नजर आ रहा था रात का सन्नाटा उसकी हिम्मत को तोड़ने की ताकत रखता था ले फिर भी अपने हाथ में एक छोटी सी काले कपड़े की पोटली लिए वह कब्रस्तान के गेट तक पहुंच गई उसने कब्रस्तान का गेट खोला और अंदर कदम रखा चारों तरफ कब्र ही कब्र और उनके बीच से होती हुई वह सुहागन एक छोटी सी कब्र के करीब ...Read More