आदिवासी जीवनशैली

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लोग आदिवासी समाज के बारे में जानते हैं पर आदिवासी समाज के सिवा अन्य समाज या फिर अन्य लोग उनकी परंपरा, उनका खानपान, उनकी जीवनशैली , उनकी कुलदेवी, उनके त्यौहार , उनकी भाषाएं के बारे में नहीं जानते यहां तक की आदिवासी समाज में आज की पीढ़ी धीरे धीरे यह सब कुछ भूल रही है । आदिवासी का इतिहास और संस्कृति कुछ अलग तरह ही है । आदिवासी भारत देश के मूल निवासी जाने जाते हैं। वे वर्षों से भारत में रहते हैं हमारे पूर्वजों भी आदिवासी थे। पर आज भी कहीं सालों के बाद पूरे भारत में सबसे ज्यादा वस्ती आदिवासी की है औ

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आदिवासी जीवनशैली - 1

लोग आदिवासी समाज के बारे में जानते हैं पर आदिवासी समाज के सिवा अन्य समाज या फिर अन्य लोग परंपरा, उनका खानपान, उनकी जीवनशैली , उनकी कुलदेवी, उनके त्यौहार , उनकी भाषाएं के बारे में नहीं जानते यहां तक की आदिवासी समाज में आज की पीढ़ी धीरे धीरे यह सब कुछ भूल रही है । आदिवासी का इतिहास और संस्कृति कुछ अलग तरह ही है । आदिवासी भारत देश के मूल निवासी जाने जाते हैं। वे वर्षों से भारत में रहते है, पर आज भी कहीं सालों के बाद पूरे भारत में सबसे ज्यादा ...Read More

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आदिवासी जीवनशैली - 2

आधुनिक समय में लोग आदिवासी जीवनशैली के बारे भूलते जा रहे हैं। आज लोग जितना आगे जा रहे हैं उनकी भाषा, संस्कृति , रीति रिवाज , उनका खानपान सब कुछ भूलते जा रहे हैं । कुछ लोग आदिवासी हो के भी कही जगह पे आदिवासी है वो नही कहते हैं , वो अपनी पहचान छूपाते है , आदिवासी होना यही आदिवासी समाज के लोगो का गर्व हैं । उनको यही गर्व होना चाहिए की हा मैं आदिवासी हूं, हा में देश का मूलनिवासी हूं , जिसको अधिकार है की वे अपनी संस्कृति , जल, जंगल, जमीन के रक्षक है ...Read More

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आदिवासी जीवनशैली - 3

" जय जोहार जय आदिवासी " टंट्या भील (टंट्या या टंट्या मामा) (26 जनवरी 1842 – 4 दिसंबर 1889) और 1889 के बीच भारत में सक्रिय एक जननायक (आदिवासी नायक) थे। द न्यूयॉर्क टाइम्स मे 10 नवंबर 1889 में प्रकाशित खबर में टंट्या भील को 'रॉबिनहुड ऑफ इंडिया' की पदवी से नवाजा गया था ।वे भारतीय "रॉबिन हुड" के रूप में ख्‍यात हैं। टंट्या भील आदिवासी समुदाय के सदस्य थे उनका वास्तविक नाम टंड्रा था, उनसे सरकारी अफसर या धनिक लोग ही भयभीत थे, आम जनता उसे 'टंटिया मामा' कहकर उसका आदर करती थी । टंट्या भील का जन्म ...Read More