वो बंद दरवाजा

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महाराजा कॉलेज ऑफ मैनजमेंट के केन्टीन में कॉलेज के सबसे हुड़दंगी विद्यार्थियों की टोली आज कई दिनों बाद एक साथ इकट्ठा हुई थी। वजह सीधी सी थी कि आज ही इन सबका फाइनल एग्जाम का लॉस्ट पेपर था। एग्जाम के दौरान तो ये हुड़दंगी ऐसे भलेमानुस प्रतीत होते थे जैसे पढ़ाई के अतिरिक्त इन्हें किसी औऱ बात से कोई सरोकार ही न हो। द रोमियो कहा जाने वाला रौनक तो जैसे ब्रह्मचारी बन जाता कि मजाल है सामने से आती किसी खूबसूरत लड़की को नज़र उठाकर भी देख ले। हमेशा खुद को किसी सुपरस्टार एक्ट्रेस समझने वाली रिनी तो एग्जाम के दिनों में आँखों पर मोटा चश्मा लगाए ऐसे दिखती जैसे उससे ज़्यादा पढ़ाकू पूरे कॉलेज में कोई और न हो। सारा दिन गिटार हाथ में लिए हुए किसी न किसी गाने की धुन बजाने वाले सूर्या पर तो इन दिनों न जाने क्या धुन सवार हो जाती कि गिटार भूलकर सारा दिन किताबों में आंखे गढ़ाए, नोट्स का रट्टा लगाता रहता। आज जब एग्जाम का भूत सबके सिर से उतर गया तो सभी फिर से अपने-अपने कैरेक्टर में आ गए। एक हाथ में कॉफी कप थामे हुए दूजे हाथ की उंगली को अपनी घुंघराली लटो में लपेटते हुए रिनी ने कहा- "यार ! सच अ बोरिंग प्लेस, आई डोन्ट वांट टू गो देअर ।" सूर्या- "तो तू ही सजेस्ट कर दे कोई अच्छी सी जगह।" रौनक - "ओ भाई ! रहने ही दे, इससे पूछने के परिणाम लास्ट ट्रिप पर भुगत चुके हैं हम सब।"

Full Novel

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वो बंद दरवाजा - 1

भाग- 1 महाराजा कॉलेज ऑफ मैनजमेंट के केन्टीन में कॉलेज के सबसे हुड़दंगी विद्यार्थियों की टोली आज कई दिनों एक साथ इकट्ठा हुई थी। वजह सीधी सी थी कि आज ही इन सबका फाइनल एग्जाम का लॉस्ट पेपर था। एग्जाम के दौरान तो ये हुड़दंगी ऐसे भलेमानुस प्रतीत होते थे जैसे पढ़ाई के अतिरिक्त इन्हें किसी औऱ बात से कोई सरोकार ही न हो। द रोमियो कहा जाने वाला रौनक तो जैसे ब्रह्मचारी बन जाता कि मजाल है सामने से आती किसी खूबसूरत लड़की को नज़र उठाकर भी देख ले। हमेशा खुद को किसी सुपरस्टार एक्ट्रेस समझने वाली रिनी ...Read More

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वो बंद दरवाजा - 2

भाग- 2 अब तक आपने पढ़ा कि एग्जाम खत्म होने के बाद सभी दोस्त मनाली जाने का प्लान बनाते तयशुदा दिन सभी लोग तैयार होकर रौनक के घर इकट्ठा होने लगते हैं। हॉल में चहल-पहल को सुनकर रौनक की मम्मी डिंम्पल वहां आती है। सबको देखकर वह चहकते हुए कहती है- वाओ ! ऑल जोकर्स आर हिअर.. काश ! मैं भी तुम लोगों की टोली का हिस्सा होती तो खूब सारी मस्ती करती। सूर्या- लो जी कर लो गल... ये भी कोई बात हुई भला। आंटी आप तो हमारी टोली की सरदार है। आपके बिना तो हम सब अधूरे ...Read More

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वो बंद दरवाजा - 3

भाग- 3 अब तक आपने पढ़ा कि सभी लोग हिमाचलप्रदेश की सीमा में प्रवेश कर गए थे। शाम के पांच बज रहे थे। मनाली अब भी दूर था। लगभग एक घण्टा और लग जाना था वहां पहुंचने में। सफ़र इतना खूबसूरत था कि मंजिल की दूरी मायने ही नहीं रख रही थी। सांझ ढलने को थी। पहाड़ी रास्ता औऱ गाड़ी में बजता मधुर संगीत सफ़र को और अधिक ख़ुशनुमा बना रहा था। खिड़की से झाँकते हुए रिनी ने कहा- "जीवन तो पहाड़ों में ही बसता है। हम लोग तो जिंदगी काट रहे हैं, घुटन भरे शहरों में। असल जिंदगी ...Read More

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वो बंद दरवाजा - 4

भाग- 4 अब तक आपने पढ़ा कि गाड़ी के नीचे एक आदमी आ जाता है जिसके बाद गाड़ी अनियंत्रित जंगल की ओर चली जाती है। रात गहराने लगी थी। जंगल भी किसी महासागर सा लग रहा था, जो खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था। गाड़ी में बैठे सभी लोग दहशत में थे। सबकी सिट्टीपिट्टी गुल हो गई थी। जैसा सन्नाटा जंगल में पसरा हुआ था ठीक वैसा ही सन्नाटा गाड़ी के अंदर भी था। कुछ देर पहले तक सभी लोग जिस प्रकृति की तारीफ़ में कसीदे गढ़े जा रहे थे, वही सब लोग अब प्रकृति के ...Read More

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वो बंद दरवाजा - 5

भाग- 5 अब तक आपने पढ़ा कि मनाली के लिए निकले कॉलेज स्टूडेंट्स की गाड़ी जंगल में भटक जाती बिना ड्राइवर के भी गाड़ी स्वतः ही चलती हुई अचानक एक जगह ठहर जाती है। सायं -सायं करती हवा जब ज़मीन पर बिखरे पड़े हुए सूखे पत्तों से होकर गुजरती तो औऱ अधिक डरावना माहौल बना देती। हवा से सरकते सूखे पत्तों की खड़खड़ाहट सुनकर ऐसा महसूस होता जैसे कोई चला आ रहा है। रात भी खरपतवार की तरह तेज़ी से बढ़ती जा रही थी। रोशनी का नामोनिशान तक नहीं था। सभी लड़के और लड़कियां एक-दूसरे का हाथ थामे हुए ...Read More

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वो बंद दरवाजा - 6

भाग- 6 अब तक आपने पढ़ा कि मनाली घूमने निकले दोस्तों की टोली जंगल में भटक जाती है। अब जंगल में कही दूर रोशनी दिखाई देती है। जंगल के बीचों-बीच खड़े हुए लड़के और लड़कियां इसी उधेड़बुन में थे कि क्या करें ? दूर से आती रोशनी की दिशा में कदम बढ़ाए या फिर से गाड़ी की ओर लौट जाए। तभी तेज़ आवाज़ से बिजली ऐसी कड़की मानो चेतावनी दे रहीं हो कि खुले आसमान तले रहना ख़तरे से खाली नहीं है। कहीं किसी सुरक्षित स्थान पर चले जाओ। अब तो किसी के पास कोई चारा ही नहीं था ...Read More

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वो बंद दरवाजा - 7

भाग- 7 अब तक आपने पढ़ा कि जंगल में भटकते हुए स्टूडेंट्स को एक होटल दिखाई देती है। डरते सभी लोग धीमी गति से कदम बढ़ाते हुए उस आलीशान सी होटल के नजदीक जाते हैं। होटल के सभी कमरों की बत्ती बुझी हुई थीं। सिर्फ़ लॉबी, रिसेप्शन डेस्क और ऊपरी मंजिल का एक कमरा रोशनी से सराबोर था। मुख्य द्वार खुला हुआ था, पर वहाँ कोई दरबान नहीं था। रिसेप्शन डेस्क भी सुनी ही थी। जिस तरह से होटल अपना हाल बयाँ कर रही थी उसे देखकर किसी का मन गवारा नहीं कर रहा था कि होटल के अंदर ...Read More

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वो बंद दरवाजा - 8

भाग- 8 अब तक आपने पढ़ा कि सभी दोस्त होटल के अंदर आ जाते हैं और वहाँ उन्हें दो दिखते हैं। रोमियों कहे जाने वाले रौनक पर उस अनजान लड़कीं का जादू इस कदर चला कि वह बिना किसी की परवाह किए हुए उस लड़की का पीछा करते हुए होटल की ऊपरी मंजिल की ओर चला गया। सूर्या उसे जाते हुए देखता रह गया। वेटिंग एरिया में बैठी रिनी ने इशारे से पूछा -"क्या हुआ ?" सूर्या कंधे उचकाकर- " पता नहीं, पर यह कन्फर्म है कि अब हम सभी को यहीं रात गुजारनी है।" आर्यन सोफ़े से उठते ...Read More

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वो बंद दरवाजा - 9

भाग- 9 अब तक आपने पढ़ा कि आदि की तलाश में निकला सूर्या जब कुछ दूर आ जाता है उसके साथ कुछ अजीबोगरीब घटना घटित होती है। सूर्या का चेहरा डर से पीला पड़ गया था। पसीने से तरबतर उसके शरीर में मानों कोई ऊर्जा ही नहीं बचीं। धकधक करता उसका दिल ज़ोर -ज़ोर से धड़क रहा था जैसे उसे चीख़ चीखकर डांट रहा हो कि किसके भरोसे यूँ मुँह उठाएं जंगल में चले आए..? पीछे से आता हुआ हाथ जब सूर्या के कंधे पर पड़ा तो वह चीख़ पड़ा था। "सूर्या.." रिलैक्स! मैं हूँ आर्यन... सूर्या ने जब ...Read More

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वो बंद दरवाजा - 10

भाग- 10 अब तक आपने पढ़ा कि सभी लोग होटल के डायनिग हॉल में मौजूद थे व खाने के में बैठे हुए थे। तभी आदि को कुछ नज़र आता है... आदि के ठीक सामने किचन के गेट के पास एक लड़की निर्वस्त्र खड़ी हुई थी। उसके बाल भीगे हुए थे और शरीर जैसे गलने ही वाला हो। उस तरफ़ रोशनी न के बराबर ही थी, अतः ठीक से देख पाना मुश्किल था। लड़कीं का चेहरा- मोहरा भी दिखाई नहीं पड़ रहा था। रिनी आदि को झकझोरते हुए- आदि ! खाना टेबल पर लग गया है, अब और किस चीज़ ...Read More

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वो बंद दरवाजा - 11

भाग- 11 अब तक आपने पढ़ा कि रश्मि को सीढ़ी पर छिपकली दिखाई देतीं और वह डर जाती है। छिपकली से ही डरी थी, यह बात सूर्या के गले से नहीं उतर रही थीं। वह तो अब भी यही मान रहा था कि जरूर रश्मि ने कुछ अजीब देखा या महसूस किया है लेकिन बता नहीं रही है। वहीं आदि भी ठीक सूर्या की तरह ही कल्पना के जहाज पर सवार था। उसके जहन से अब तक वह रहस्यमयी लड़की गई नहीं थीं। आदि मन ही मन कल्पनाओं की कड़ी जोड़ते हुए- " कहीं ऐसा तो नहीं हुआ कि ...Read More

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वो बंद दरवाजा - 12

भाग- 12 अब तक आपने पढ़ा कि आदि उस अनजान लड़कीं के पीछे चलता हुआ बन्द दरवाज़े के करीब जाता है। आँख मूंदे हुए आदि मिन्नते करता रहा। उसके बाएं कंधे पर रखा हुआ हाथ कंधे से हट चुका था। थोड़ी देर बाद ही उसे अपने दोनो कंधों पर भारीपन महसूस हुआ। उसके कानों में चिरपरिचित आवाज़ गूँज रहीं थीं। उसे महसूस हुआ जैसे वह गहरी नींद में सो रहा है और कोई उसे जगाने की कोशिश कर रहा है। आदि ने जब अपनी आँखे खोली तो अपने सामने सूर्या को देखकर चौंक गया। उसने गर्दन घुमाकर चारों ओर ...Read More

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वो बंद दरवाजा - 13

भाग- 13 अब तक आपने पढ़ा कि सूर्या अपने कमरे से तकिया और मोबाइल लेने जाता है, तब उसे कुछ अजीब महसूस होता है। उसका पैर किसी ठंडी वस्तु से टकराता है जिसे वह लाश समझता है। लाश के ख्याल ने ही सूर्या के दिलो दिमाग को बेजान बना दिया। वह किसी मूर्तिकार द्वारा बनाई सजीव मूर्ति की तरह जस का तस खड़ा हुआ था। उसे अपना लोवर भीगा हुआ सा महसूस हुआ। वह कुछ समझता तभी लाइट जल गई। लाइट के जलते ही पूरा कमरा रोशन हो गया। रोशनी में सूर्या को फ़र्श गीला दिखा। जहाँ वह खड़ा ...Read More

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वो बंद दरवाजा - 14

भाग- 14 अब तक आपने पढ़ा कि रिनी अपने दोस्तों को पहचान नहीं पाती है और उसे होटल आने बात भी याद नहीं रहतीं। रिनी की हालत देखकर सभी घबरा जाते हैं। सबके चेहरे पर उतर आया डर साफ़ नज़र आ रहा था। आदि- "मैंने कहा ही था कि यहाँ नहीं रुकते हैं। मुझे शुरू से ही यहाँ का वातावरण कुछ अजीब लग रहा था।" सभी आदि की बात का मन ही मन समर्थन कर रहे थे पर मुँह से किसी ने कुछ न कहा। ख़ामोशी में एक भारीभरकम सी आवाज़ गूँजी- " इन बातों को करने से अब ...Read More

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वो बंद दरवाजा - 15

भाग- 15 अब तक आपने पढ़ा कि रिनी का व्यवहार असामान्य हो जाता है। रौनक़ द्वारा समझा देने पर उसकी बात पर यकीन करके अपने-अपने कमरे में लौट जाते हैं। आदि और सूर्या एकसाथ कमरे में प्रवेश करते हैं और सामने का नज़ारा देखकर चौंक जाते हैं। कमरे की लाइट बन्द थीं और फर्श पर सफ़ेद झक सी आकृति लहरा रही थी। लग रहा था जैसे कोई सफ़ेद लबादा पहने हुए लेटा हुआ है और हवा से उसका लबादा उड़ रहा है। आदि को जब बात समझ में आई तो उसने बत्ती जला दी। रोशनी में अब भी सफ़ेद ...Read More

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वो बंद दरवाजा - 16

भाग- 16 अब तक आपने पढ़ा कि रौनक़ उस बन्द दरवाज़े के पास चला जाता है। उसे वहाँ वही नजर आता है जिस पर उसने गाड़ी चढ़ा दी थी। रौनक़ जान बचाकर भागने लगा। भागते हुए उसका पैर पत्थर से टकराया और वह धड़ाम से नीचे गिर गया। जैसे ही वह गिरा उसे लगा किसी ने उसके दोनों पैर पकड़ लिए। अपने आप को छुड़वाने की उसकी तमाम कोशिशें विफल हो गई। तेज़ विस्फ़ोट की आवाज़ के साथ वो बन्द दरवाज़ा खुल गया। तेज़ आंधी की तरह हवा चलने लगी और उस दरवाज़े से धूल भरा एक गुबार बाहर ...Read More

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वो बंद दरवाजा - 17 - अंतिम भाग

भाग- 17 अब तक आपने पढ़ा कि रौनक़ बन्द दरवाजे के पीछे के रहस्य से वाकिफ होता है। बला खूबसूरती लिए हुए वह लड़की रौनक़ के सामने थी। रौनक़ अब भी उसे पहचान नहीं पाया। वह उस लड़की से कहता है- " आपसे मिलकर बहुत खुशी हुई, लेकिन मैं आपका रेहान नहीं हूँ। रौनक़ उठा और वहाँ से जाने लगा। जब वह दरवाज़े के पास पहुंचा तो दरवाज़ा अपने आप बन्द हो गया। रौनक़ ने पलटकर जब उस लड़की को देखा तो उसका चेहरा गुस्से से लाल हो रहा था। अचानक ही उस लड़की के शरीर से सारे कपड़े ...Read More