प्रेत-लोक

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ये समूचा विश्व सिर्फ एक भावना के चलते गतिमान है वो है विश्वास, कहा जाता रहा है कि " मानो तो मैं गंगा माँ हूँ, न मानो तो बहता पानी"। पर आज यहाँ पर बात गंगा माँ को मानने या न मानने को लेकर नही है, बात है कि जैसे हम भगवान को मानते हैं, हम ये मानते हैं कि भगवान का अस्तित्व है और वो कण-कण में विराजमान है। ठीक बैसे ही हम मानें या न मानें पर एक और शक्ति भी इस संसार में है जिसके होने का हम में से कई लोगों को प्रमाण मिला भी है

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प्रेत-लोक - 1

ये समूचा विश्व सिर्फ एक भावना के चलते गतिमान है वो है विश्वास, कहा जाता रहा है कि " तो मैं गंगा माँ हूँ, न मानो तो बहता पानी"। पर आज यहाँ पर बात गंगा माँ को मानने या न मानने को लेकर नही है, बात है कि जैसे हम भगवान को मानते हैं, हम ये मानते हैं कि भगवान का अस्तित्व है और वो कण-कण में विराजमान है। ठीक बैसे ही हम मानें या न मानें पर एक और शक्ति भी इस संसार में है जिसके होने का हम में से कई लोगों को प्रमाण मिला भी है ...Read More

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प्रेत-लोक - 2

अब तक आपने पढ़ा कि चारों दोस्त रायसेन किले की यात्रा पर निकलते हैं और बापसी में रात का भोपाल से बीस किलोमीटर पहले एक ढाबे में करने का प्लान बना कर रायसेन से चलते हैं। पर ढाबे से 2 किलोमीटर पहले सुनसान घने जंगल में उनकी गाड़ियों का पेट्रोल खत्म हो जाता है।अब आगे…...उस समय कोई मदद की उम्मीद करना बैमानी था अभी तक के सफर में एक भी गाड़ी उन्हें नहीं मिली थी और न ही आस-पास किसी बस्ती के होने का कोई अंदेशा था।रुद्र शांति को भंग करते हुए बोला " इस समय यहाँ इस वीरान ...Read More

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प्रेत-लोक - 3

अब तक आपने पढ़ा- चारों दोस्त रायसेन का किला देख कर भोपाल बापस जा रहें हैं पर रास्ते मे पेट्रोल खत्म हो जाता है और वो एक ढाबे पर रात रुकने का सोचते हैँ पर उस ढाबे पर उनके अलावा और कोई नहीं होता है वो सभी दो भाग में बटकर खाना बनाने और ढाबे में किसी को खोजने का प्लान बनाते हैं, ढाबे में खोज करते समय उन्हें कुछ मिलता है। वो रात को सो रहे होतें हैं तब रुद्र को सपने में कुछ दिखता है जिसे देख कर वो घबरा जाता है।अब आगे………..रुद्र जोर से चीखा, उसके ...Read More

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प्रेत-लोक - 4

सुनील की आँखें लाल सुर्ख हो रहीं हैं, मानो जैसे खून उतर आया हो। रुद्र और मनोज दोनों की बयाँ करने की जरूरत ही नहीं है, उन्हें तो मानों साँप सूंघ गया हो। कमरे की टयूब लाइट चर-चर की आवाज के साथ कभी जलती है और कभी बुझ जाती है, पूरे कमरे में सड़न की बदबू फैल गई। सुनील ने किताब से सर उठा कर रुद्र और मनोज की तरफ देखा।उसके देखने मात्र से रुद्र और मनोज के प्राण हलक तक आ गए, उसके देखने का तरीका बहुत ही डरावना और भयावह था। सुनील की चमड़ी का रंग बदलने ...Read More

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प्रेत लोक - 5

प्रेत लोक – 05 अब तक आपने पढ़ा : चारों दोस्त एक सफ़र पर निकलते हैं और वो सफ़र उनकी जिन्दगी का सबसे मनहूस सफ़र साबित होने लगता है, वो न चाहते हुए भी अनजाने में कुछ पारलौकिक शक्तियों के संपर्क में आ जाते हैं और फिर ये शक्तियां उनके साथ उनके घर तक पहुँच कर अपने होने का अनुभव देने लगती हैं। सुनील और विकास इन शक्तियों के चंगुल में आ जाते हैं पर रुद्र और मनोज अभी भी सुरक्षित हैं। अब आगे : रुद्र और मनोज सुनील को और विकास को देख रहे हैं पर समझ ...Read More

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प्रेत लोक - 6

प्रेत लोक - 06 अब तक आपने पढ़ा : चारों दोस्त एक सफ़र पर निकलते हैं और धीरे-धीरे वो उनकी जिन्दगी का सबसे मनहूस सफ़र साबित होने लगता है, वो न चाहते हुए भी अनजाने में कुछ पारलौकिक शक्तियों के संपर्क में आ जाते हैं। इनमें से एक शक्ति जो की इनकी मदद कर रही है वो है तांत्रिक योगीनाथ पर वो दूसरी शक्ति कौन है जो इन्हें मार डालना चाहती है? अब आगे : प्रेत के चले जाने के बाद रुद्र और मनोज तांत्रिक योगीनाथ की ओर देखते हुए बोले, “योगीनाथ जी आपसे निवेदन है की आप आपकी ...Read More

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प्रेत लोक - 7

प्रेत की बात को सुनकर तांत्रिक योगीनाथ, रुद्र, मनोज और सुनील एक दूसरे को देखते रह जाते हैं और तांत्रिक योगीनाथ से कहता है की “योगीनाथ जी अब हम किस तरह से इसे यहाँ से दूर करेंगे, ये एक किन्नर है वो भी काम का भूखा उसके लिए सुनील एक सही शिकार है” अब आगे : तांत्रिक योगीनाथ रुद्र की बात को सुनकर चिंतित हो गए और फिर कहा “बात तो सही है रुद्र पर तुम्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है हर समस्या का कुछ न कुछ तो समाधान जरूर होता है, मुझे कुछ समय ...Read More

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प्रेत लोक - 8

प्रेत लोक - 08 इस बार वो एक ही झटके में उठ कर खड़ा हो गया और फिर सर को दीवार से मारने ही वाला था की इतने में तांत्रिक योगीनाथ ने अपना हाँथ हवा में उठाया और कुछ मंत्र पढ़ कर ‘फट’ कहते हुए उसकी तरफ़ किया जिससे वो जहाँ था वहाँ पर ही रुक गया मानो किसी ने उसे पीछे से पकड़ रखा हो, पर ये दाव उसे बहुत देर तक रोक नहीं पाया और ‘हूँ’ की आवाज के साथ वो पलट गया, अब वो एकदम तांत्रिक योगीनाथ के सामने है। अब आगे : योगीनाथ जी ने ...Read More

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प्रेत-लोक - 9

प्रेत-लोक 09 रुद्र लेटे हुए सोच रहा है की आखिर किस तरह इस संघतारा प्रेत से मुक्त हुआ साथ ही उसका जिज्ञासु मन तांत्रिक योगीनाथ के बारे में भी जानना चाहता है क्योंकि रुद्र तांत्रिक योगीनाथ से बहुत प्रभावित है और जानना चाहता है की वो आखिर हैं कौन एक तांत्रिक या अघोरी या एक अघोरी तांत्रिक, और वो हज़ार साल से समाधि में क्यों हैं, सोचते- सोचते उसकी कब आँख लग गई पता ही नहीं चला। अब आगे : सुबह के ८:०० बजे तांत्रिक योगीनाथ जी अपने कमरे से निकलते हैं और बाकी सभी को उठाते हैं। रुद्र ...Read More

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प्रेत लोक - 10

प्रेत-लोक 10 कुछ समय तक चलते रहने के बाद अचानक लगा जैसे ठंड बहुत अधिक बढ़ गई है सिर्फ बढ़ गई है बल्कि धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है, आसमान लाल होने लगा पूरा किला धुएँ के कोहरे में कहीं गुम सा हो गया, आगे क्या है कुछ दिखाई नहीं दे रहा है, और जब रुद्र ने मनोज को देखा तो वो डर से कांप गया क्योंकि मनोज बहुत ही डरावना दिखाई दे रहा है, उसके कान बहुत बड़े हैं, आंखें पुरे तरह से अंदर धसी हुई हैं, नाक की जगह पर सिर्फ दो छेद हैं, उसके होंठ नहीं है, ...Read More

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प्रेत लोक - 11

रुद्र आगे आता हुआ तांत्रिक योगीनाथ जी से बोला “पर आप तो मंत्र की शक्ति से भी इस दरवाजे खोल सकते हो” योगीनाथ जी रुद्र की ओर देख कर बोले “नहीं कर सकता क्योंकि ये जो तुम्हें सामने दिख रहा है ये दरवाजा नहीं है ये प्रेत-जाल है जो संघतारा प्रेत ने अपनी काली शक्ति का प्रयोग करके खड़ा किया है, इसे खोलने के लिए मुझे अभिमंत्रित सिंदूर की जरूरत पड़ेगी जो मेरे कई और सिद्ध सामानों के साथ बाहर ही है, अब केवल एक ही रास्ता है, गुरुदेव वो ही कुछ कर सकते हैं”। अब ...Read More

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प्रेत लोक - 12

“रुद्र वो ईंट का टुकड़ा लाकर दो जिसे हम महल से लेकर आये थे” तांत्रिक योगीनाथ ने रुद्र से रुद्र उस ईंट के टुकड़े को बैग से निकलता हुआ बोला “योगीनाथ जी हम महल इसलिए गए थे की जिससे हमें कोई ऐसी वस्तु मिल सके जिसे राजकुमार अचिंतन ने उपयोग किया हो पर इस ईंट को देख कर तो ऐसा कुछ नहीं लगता और सबसे बड़ी बात इसका आकर, आखिर आपने इस ईंट को इस खास आकर में काटने के लिए ही क्यों कहा?” अब आगे: “मुझे पता था रुद्र की तुम अपने जिज्ञासु स्वभाव की वजह ...Read More

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प्रेत-लोक - 13

उस परछाई ने एक जोर की कराह के साथ तांत्रिक योगीनाथ से कहा “योगीनाथ जी आप जो चाहते हैं वैसा ही करूँगा पर आप कृपया अपनी मंत्र शक्ति का प्रयोग बंद कर दीजिये क्योंकि मैंने आज तक कभी किसी को परेशान नहीं किया पर पता नहीं क्यों आप ने मुझे यहाँ कैद कर के रखा है और कुछ भी कहे बिना मुझे मंत्रों से प्रताड़ित कर रहो हो, कृपया आप बताइए आप क्या चाहतें है में वो कुछ भी करने को तैयार हूँ जो में कर सकता हूँ”। अब आगे: तांत्रिक योगीनाथ जी मंत्र पढ़ना बंद कर ...Read More

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प्रेत-लोक - 14

राजकुमार अचिंतन की आत्मा तांत्रिक योगीनाथ को प्रणाम करते हुए बोली “हे महात्मा आपने जो कुछ भी कहा वो सही है, शायद में उससे कुछ ज्यादा ही डर गया था और जहाँ आप जैसे महान तांत्रिक और महात्मा हैं वहां किसी को डरने की क्या जरूरत है, अब मेरे पास कुछ खोने को तो बचा नहीं है इसलिए में अपने सम्पूर्ण अस्तित्व को आपको अर्पित करता हूँ, अब आप जैसा चाहें मेरे उपयोग कीजिये, मुझे अब किसी भी प्रकार से कोई शंका या परेशानी नहीं हैं, कृपया अपनी योजना और उसमें मेरे कार्य को मुझसे कहें, जिससे ...Read More

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प्रेत-लोक - 15

तांत्रिक योगीनाथ जी एक बार फिर सभी की ओर देख कर इशारे से हाँ या न पूछते हैं पर हाँ में सर हिला कर उनके साथ होने का आश्वासन दे देते हैं, तब योगीनाथ जी कहते हैं “कल अमावस्या की रात है हमें किसी भी तरह इस काम को कल ही अंजाम देना होगा” और वो सभी को अपना-अपना काम बता कर खुद दूसरे कमरे में जा कर ध्यान की मुद्रा में बैठ जाते हैं। अब आगे : रात के करीब ११:०० बज रहें हैं आज अमावस्या की रात्रि है तांत्रिक योगीनाथ जी सभी लोगों रुद्र, मनोज ...Read More

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प्रेत-लोक - 17

तांत्रिक योगीनाथ गंभीर होकर बोले “इस तरह के प्रेत को इतनी आसानी से वश में नहीं किया जा सकता, तुम परेशान मत हो उसका भी उपाय है मेरे पास और जब तक तुम ये सब करोगे तब तक में उसके आगे की क्रिया के लिए काम कर चूका रहूँगा” इतना कह कर योगीनाथ जी ने रुद्र को एक रुद्राक्ष की माला दी जिसे रुद्र ने अपने गले में पहन लिया और तालाब के अन्दर जाने के लिए आगे बढ़ा। अब आगे प्रेत-लोक १७ तालाब में कदम रखते ही उसे ऐसा लग मानों वो जमीन पर नहीं बल्कि बादलों पर ...Read More

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प्रेत-लोक - 16

संघतारा प्रेत अब आ चूका है और आते ही उसने अपने जाल फैलाने चालू कर दिए, वो अपनी हरकतों अजीब-अजीब तरह की आवाजों से रुद्र और उसके दोस्तों को डराने के कोशिश करने लगा, ठीक उसी समय तांत्रिक योगीनाथ जी की पहले से सोची हुई योजना के तहत राजकुमार अचिंतन की आत्मा अब अपने सही आकर में आने लगती है और कुछ ही देर बाद चबूतरे पर एक सुन्दर, गठीला और राजसी परिवेश पहने हुए राजकुमार अचिंतन दिखाई देने लगता है, संघतारा प्रेत उसे देख कर शांत हो जाता है, और उसके पास जाने के लिए तालाब में आने ...Read More