निपुणनिका

(124)
  • 107.1k
  • 16
  • 63k

तुझे मना किया था ना,अपार फिर तू क्यो गया?वहां तुझे कुछ हो जाता तो, मैं इसलिए मना कर रही थी कि तू मेरे साथ मत आ,वो तो मैं समय से पहुंच गई नहीं तो____ अब खड़ा क्या है,चल उठा ये पानी भरने वाली रस्सी और घर चल, जीजी राह देख रही होंगी। और मौसी की डांट खाने के बाद, मैंने पानी भरने की रस्सी उठाई, कंधे पे टांगी और मौसी के पीछे-पीछे चल पड़ा। घर आकर मौसी ने सबसे कह दिया कि ये फिर उस पुराने महल में गया था और बहुत डांट पड़ी। लेकिन मैं भी क्या करुं, मैं

Full Novel

1

निपुणनिका--भाग(१)

तुझे मना किया था ना,अपार फिर तू क्यो गया?वहां तुझे कुछ हो जाता तो, मैं इसलिए मना कर रही कि तू मेरे साथ मत आ,वो तो मैं समय से पहुंच गई नहीं तो____ अब खड़ा क्या है,चल उठा ये पानी भरने वाली रस्सी और घर चल, जीजी राह देख रही होंगी। और मौसी की डांट खाने के बाद, मैंने पानी भरने की रस्सी उठाई, कंधे पे टांगी और मौसी के पीछे-पीछे चल पड़ा। घर आकर मौसी ने सबसे कह दिया कि ये फिर उस पुराने महल में गया था और बहुत डांट पड़ी। लेकिन मैं भी क्या करुं, मैं ...Read More

2

निपुणनिका--भाग(२)

अब मेरी उम्र पचास साल की है,जब वो भयानक दिन मुझे याद आते हैं तो मेरे शरीर में मुझे भी झुरझुरी महसूस होती है। मैं बेहोश होकर वहीं पड़ा रहा, मनोज ने मुझे ढूंढने की कोशिश की लेकिन मैं नहीं मिला, क्योंकि वो महल के अंदर नहीं गया,घर जाकर उसने सबको बता दिया, मुझे ढ़ूढने मामा के साथ भी काफी लोग आए और मुझे महल के अंदर ढूंढ लिया गया,ये तो थी दो साल पुरानी घटना जब मैं सात साल का था..... लेकिन अब मैं दो साल बाद नानी के घर आया, यानि अब मैं नौ साल का हूं,उसी ...Read More

3

निपुणनिका--भाग(३)

उस दिन मैं और मनोज उस पुराने महल से जान बचाकर भागे,घर पहुंच कर ही हमने सांस ली, मनोज कहा कि ये सब अभी किसी से मत कहना, नहीं तो बहुत डांट पड़ेगी कि तुम लोग रात को वहां क्यो गए। मैंने कहा ठीक है, लेकिन मुझे अभी भी भरोसा नहीं हो रहा कि वो चुड़ैल थी, इतने दिन मैं एक चुड़ैल से मिलने जाता रहा, तभी उस दिन वो मेरे गले लगी तो सड़े मांस की बदबू आ रही थी, अजीब तो लगा था लेकिन मैं उसके प्यार में अंधा हो गया था। फिर मां ने बताया कि ...Read More

4

निपुणनिका--भाग(४)

मौसी के बड़े-बड़े नाखून वाले गंदे हाथ देखकर मैं बहुत डर गया,वो अचानक बढ़ने लगी,उसका सर कोठरी की छत छूने लगा, उसने जैसे ही मुझे हाथ लगाया, उसके हाथ से धुआं निकलने लगा,शायद फकीर बाबा के ताबीज की वज़ह से,वो जोर से चीखी, उसकी चीख इतनी तेज थी कि सब चीख सुनकर नीचे आ गए, मैं डर के मारे कोठरी से आंगन की तरफ भागा,सब आंगन में आए और मनोज भी,वो सर्र से बाहर आंगन में आ गई और मनोज की गरदन पर अगल-बगल दोनों टांगें लटकाकर बैठ गई। और बोली तू ही है ना,जो उस रोज मेरे चंगुल ...Read More

5

निपुणनिका-- - 5(अंतिम भाग)

फिर एक रात उस महल में एक खूनी खेल हुआ, अपारशक्ति चेहरा ढ़ककर आधी रात के वक्त निपुणनिका के में गया और तलवार से श्रवन का गला काट दिया, आवाज सुनकर निपुणनिका जागी तो उसनेे उसका भी गला भी तकिये से घोट दिया और महल से भाग गया, सुबह लोगों को महल में चार लोगों की लाशें मिली, महाराज अमर्त्यसेन, राजकुमार रूद्रसेन,श्रवन और राजकुमारी निपुणनिका की,अपारशक्ति की लाश नहीं मिली तो लोगों ने समझा कि अपारशक्ति ही सभी को मारकर,कहीं भाग गया है,उस रात महल में क्या हुआ किसी को भी कुछ भी नहीं पता। आजी मां बोली,बस यही ...Read More