डॉ सतीश राज पुष्करणा जी की लघुकथाओं पर मेरा अभ्यास

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डॉ. सतीश राज पुष्करणा ड्राइंग-रूम उमेश बाबू के ड्राइंग-रूम में प्रवेश करते हुए दीनानाथ ने कहा, “उमेश बाबू! ड्राइंग-रूम है तो बस आपका ! इतना सुन्दर, सुसज्जित तथा रख-रखाव वाला | एक-एक खिलौना ऐसा-कि मानो अभी बोल उठेगा |”भर्राई-सी धीमी, बुझी-सी आवाज़ उमेश बाबू के मुँह से निकली, “बोल उठेगा ! पर बोलता नहीं है ! कभी नहीं बोलेंगे ये खिलौने ! छह माह पहले मेरे घर में भी एक खिलौना था, जो बोलता था | तब ये सारे खिलौने बोलते थे| मेरा ड्राइंग-रूम भी औरों की तरह ही था | मेरी पत्नी भी व्यस्त थी | बस, उस खिलौने के जाते

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डॉ सतीश राज पुष्करणा जी की लघुकथाओं पर मेरा अभ्यास - 1

डॉ. सतीश राज पुष्करणा ड्राइंग-रूम उमेश बाबू के ड्राइंग-रूम में प्रवेश करते हुए दीनानाथ ने कहा, “उमेश बाबू! ड्राइंग-रूम तो बस आपका ! इतना सुन्दर, सुसज्जित तथा रख-रखाव वाला | एक-एक खिलौना ऐसा-कि मानो अभी बोल उठेगा |”भर्राई-सी धीमी, बुझी-सी आवाज़ उमेश बाबू के मुँह से निकली, “बोल उठेगा ! पर बोलता नहीं है ! कभी नहीं बोलेंगे ये खिलौने ! छह माह पहले मेरे घर में भी एक खिलौना था, जो बोलता था | तब ये सारे खिलौने बोलते थे| मेरा ड्राइंग-रूम भी औरों की तरह ही था | मेरी पत्नी भी व्यस्त थी | बस, उस खिलौने के जाते ...Read More

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डॉ सतीश राज पुष्करणा जी की लघुकथाओं पर मेरा अभ्यास - 2

अभ्यास क्रम 2जनरेशन गैप अपने पुत्र अरुण को डॉक्टर बनाने के लिए राधे ने रिक्शा चलाते-चलाते जवानी में ही को न्योता दे दिया था | क्योंकि उसकी स्वर्गीय पत्नी की हार्दिक इच्छा थी कि बड़ा होकर अरुण डॉक्टर बने, ताकि अरुण की तरह अन्य बच्चे मातृहीन न हों|राधे का पसीना रंग लाया| समय आने पर अरुण डॉक्टर बन गया | उसकी शादी भी कर दी गयी | अरुण की पत्नी ने आते ही इच्छा जाहिर की कि इस घर को छोड़कर किसी सुन्दर बंगले में चलें| इससे पर्सनालिटी में भी अंतर पड़ता है | अरुण ने भी सहमती दे दी ...Read More