कामवासना से प्रेम तक

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एक सभ्य समाज में पुरुष और महिला के बीच सुंदरता से भरे संबंधों के बारे में यदि कहां जाए तो ----उसे कामसूत्र कहते हैं (क्या है ,कामवासना )और (क्या है, प्रेम), कामसूत्र से संबंधित कई किताबें बनी कई लोगों ने पड़ी और कई बुद्धिजीवियों ने इसे पर्दे पर भी उतारा और यदि दूसरी तरफ देखा जाए तो इसे गंदी किताबों का दर्जा और गंदी फिल्मों का दर्जा दिया गया। ऐसी किताबों को पढ़ने में कई लोगों को शर्म भी आती है मनुस्मृति के अनुसार आदमी का कर्तव्य है कि वह अपनी पत्नी के साथ तभी सेक्स करें जब गर्भधारण की स्थिति

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कामवासना से प्रेम तक (भाग-१)

एक सभ्य समाज में पुरुष और महिला के बीच सुंदरता से भरे संबंधों के बारे में यदि कहां जाए ----उसे कामसूत्र कहते हैं (क्या है ,कामवासना )और (क्या है, प्रेम), कामसूत्र से संबंधित कई किताबें बनी कई लोगों ने पड़ी और कई बुद्धिजीवियों ने इसे पर्दे पर भी उतारा और यदि दूसरी तरफ देखा जाए तो इसे गंदी किताबों का दर्जा और गंदी फिल्मों का दर्जा दिया गया। ऐसी किताबों को पढ़ने में कई लोगों को शर्म भी आती है मनुस्मृति के अनुसार आदमी का कर्तव्य है कि वह अपनी पत्नी के साथ तभी सेक्स करें जब गर्भधारण की स्थिति ...Read More

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कामवासना से प्रेम तक - भाग - 2

लेकिन दूसरी ओर विवाहेतर संबंधों के बारे में कई बुद्धिजीवी अपनी ही बात काटते हैं और इससे नुकसान निकलते दूसरी और दूसरों की पत्नी की रक्षा करने की सलाह देते हैं_कामवासना का केंद्र सूर्य होताा हैैंइसलिए कामवासना स्त्री और पुरुष मेंं उत्तेजित होती है काम क्रीड़ा एक सहज प्रेमहैं यदि कोई व्यक्ति अपने भीतर के सूर्य कोजान लेता हैं/ तो वह व्यक्ति कामवासना की प्रेम अनुभूति कोोसमझ जाता हैंजैसे सूर्य और चांद से जीवन हैैं वैसेे ही कामवासना से जीवन हैंं।(^‿^)जैसे जैसे दिन से शाम होनेेे लगी सूर्य केसाथ सा ...Read More

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कामवासना से प्रेम तक - भाग - 3

प्रेम भले छोटा शब्द हो परंतु अर्थ गहरा होता है, हर कोई इसे अपनी अलग भाषा मे व्यक्त करता अच्छा और बुरा परिणाम चाहे जो भी हो/ कई बार प्रेम प्रताडित भी करता है/प्रेम समझने के लिए वर्षो लग जाते है, मधूर संबध मे कड़वाह का आना लाज़मी है यदि प्रेम मे शारीरिक प्रताड़ना हो, सभ्य समाज मे स्त्री पुरूष की बनावट ही शायद शारीरिक कष्ट का कारण हो, परंतु सत्य क्या है, कहां है, कौन कितना जानता है, प्रेम को परिभाषा है क्या? पुरुष को वासना स्त्री को ह्दय प्रेम है अंतर पर कितना.? पर सोच वही और उतनी है. ...Read More

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कामवासना से प्रेम तक - भाग - 4

जब अजय अपने दफ़्तर आता है, देर हो जाने की वजह से उसका बॉस मुकेश उसे डांटने लगता है कहता है। मुकेश :- अजय मैं जानता हूं तुम्हारी अभी नई-नई शादी हुई है, पर तुम्हें इस बात का भी ख़्याल रखना होगा कि तुम्हारी अपने काम के प्रति भी जिम्मेदारियां हैं। अजय:- सॉरी सर मैं आइंदा से ध्यान रखूंगा और जल्दी आने की कोशिश करूंगा पहले की तरह। मुकेश:- अजय मुझे ग़लत मत समझना मैं समझ सकता हूं तुम्हारी नई-नई शादी हुई है, बहुत कुछ एडजस्ट करना पड़ रहा होगा।अजय:- सर यह तो है ,पर सर शेफाली बहुत अच्छी ...Read More

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कामवासना से प्रेम तक - भाग - 5

मुकेश:-मैं कल फ्री हूं तो मिलते हैं कल डिनर पर, ऐसा करो तुम चाहें छुट्टी ले लो।अजय:- पर छुट्टी /आप तो रात में आ रहे हों।मुकेश:-हां भाई एक दिन तो मेनेज हो ही जाएगाअजय:-जी सर।" अजय घर पहुंचकर शेफाली से सभी बात बतलाता हैं, और कल रात अच्छा खाना बनाने को कहता हैं, अजय शेफाली की तरफ देख उसे अपनी बाहों में भरता ,तभी शेफाली कहती आज मन नहीं हैं ,रहने दो, परंतु अजय जबरन अपनी शारीरिक इच्छा पूरी करता, शेफाली उसे मना करती तो वह अपनी जबरदस्ती से भरी मर्दानगी दिखाता,शेफाली की ख़ामोशी और आंखों में पानी,शायद अजय ...Read More