इकतारे वाला जोगी

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इकतारे वाला जोगीछः वर्ष पश्चात् ...छः वर्ष बीत चुके थे। शुभ्रा अब किशोर वयः के अन्तिम पड़ाव पर थी। न जाने कब बासन्ती सुगंधित बयार का कोई झोंका आकर उसकी साँसों को महका गया था । अब यह सुगंध उसकी साँसों में बस चुकी है । इस सुगन्ध के बिना शुभ्रा की साँसें उदास हो जाती हैं ; जीवन नीरस-निरर्थक प्रतीत होता है । शुभ्रा ने इस विषय पर कभी गम्भीरतापूर्वक विचार नहीं किया था , किन्तु उस समय वह आश्चर्यचकित रह गयी , जब उसकी दादी ने उसके विवाह का प्रस्ताव रखकर वर के चयन हेतु कुछ अल्प परिचित-अपरिचित

Full Novel

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इकतारे वाला जोगी

इकतारे वाला जोगीछः वर्ष पश्चात् ...छः वर्ष बीत चुके थे। शुभ्रा अब किशोर वयः के अन्तिम पड़ाव पर थी। जाने कब बासन्ती सुगंधित बयार का कोई झोंका आकर उसकी साँसों को महका गया था । अब यह सुगंध उसकी साँसों में बस चुकी है । इस सुगन्ध के बिना शुभ्रा की साँसें उदास हो जाती हैं ; जीवन नीरस-निरर्थक प्रतीत होता है । शुभ्रा ने इस विषय पर कभी गम्भीरतापूर्वक विचार नहीं किया था , किन्तु उस समय वह आश्चर्यचकित रह गयी , जब उसकी दादी ने उसके विवाह का प्रस्ताव रखकर वर के चयन हेतु कुछ अल्प परिचित-अपरिचित ...Read More

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इकतारे वाला जोगी - 2

आभा की किशोरवयः पुत्री शुभ्रा भी मांँ की मनःस्थिति को ना समझते हुए उसके रोग का कारणभूत जोगी के को समझती है और जोगी को हमेशा-हमेशा के लिए उस शहर को छोड़कर कहीं दूर चले जाने के लिए कहती है । आभा को जब यह ज्ञात होता है तब बीमार आभा इतनी आहत होती है कि वह कोमा में चली जाती है । इसके छः साल बाद जब शुभ्रा उसी दौर से गुजरती है , जिस दौर में उसकी माँँ ने अपने सपनों को अपनों की खुशी के लिए दफन कर दिया था , तब शुभ्रा को मांँ द्वारा सुनाई गई वह कहानी याद आती है , जिसमें शुभ्रा को यह संकेत मिलता है कि कहानी का राजकुमार कोई और नहीं, मांँ के मन का मीत है । संकेत पाते ही ।शुभ्रा माँँ को वही सुख देने का संकल्प करती हैं , जिसकी वह अधिकारिणी है । कहानी के अन्त तक वह आंशिक सफलता प्राप्त कर लेती है । ...Read More