ईर्ष्या ने पाप का भागीदार बना दिया

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फिर एक दिन अपने संकोच को त्याग कर हिकमिद ने दर्जी से उसकी इन दुर्लभ स्थिति में आने का कारण पूछा तो दर्जी बोलामेरी इन। स्थितियोंं का कोई एक कारण नहीं है ब्लकि अनेकों है जिनके स्मरण भर से ही मेरी आत्मा तक देहल उठती है मेरा आपसे आग्रह है इसे पुुुेछने‌ का हठ ना करें। दर्जी की इन बातों ने हिकमीद की जिज्ञासा को और अधिक कर दिया और वो बोला तुम्हारी बातों ने मेरे मन को और भी वयाकुल कर दिया हैं अब तो तुम्हारी कथा सुने बिना मेरा मन शांत नहीं होगाजब दर्जी को लगा उसका और टालना व्यर्थ है

Full Novel

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ईर्ष्या ने पाप का भागीदार बना दिया

फिर एक दिन अपने संकोच को त्याग कर हिकमिद ने दर्जी से उसकी इन दुर्लभ स्थिति में आने का पूछा तो दर्जी बोलामेरी इन। स्थितियोंं का कोई एक कारण नहीं है ब्लकि अनेकों है जिनके स्मरण भर से ही मेरी आत्मा तक देहल उठती है मेरा आपसे आग्रह है इसे पुुुेछने‌ का हठ ना करें। दर्जी की इन बातों ने हिकमीद की जिज्ञासा को और अधिक कर दिया और वो बोला तुम्हारी बातों ने मेरे मन को और भी वयाकुल कर दिया हैं अब तो तुम्हारी कथा सुने बिना मेरा मन शांत नहीं होगाजब दर्जी को लगा उसका और टालना व्यर्थ है ...Read More

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ईर्ष्या ने पाप का भागीदार बना दिया (मध्य भाग)

उस कक्ष में बैठा व्यक्ति जिसे वो सुन्दरी अपना पति बता रही थी एक वृद्ध था जिसकी आयु उस से तीन गुना अधिक थी अब मेरे मन में उस मन मोहिनी के लिए प्रेम के साथ दया भाव भी उत्पन्न होने लगा मैं मन ही मन उसके भाग्य पर खेद व्यक्त करने लगा अभी मैं इन परिस्थितियों पर विचार कर ही रहाँ था के सामने बैठे बुढ़े ने अत्यंत आदरपूर्वक मेरा स्वागत किया और अपने साथ बिठा लिया उसने मुझसे मेरा परिचय माँगा तो मेने उसे अपने उपर एक के बाद एक तुट पड़ी आपदाओं का विस्तार से वर्णन किया जिसको ...Read More

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ईर्ष्या ने पाप का भागी बना दिया (अंतिम भाग )

उसने बताया के विवाह से पूर्व वो एक निर्धन परिवार से थी उनकी निर्धनता और दुर्भाग्य ने उनको श्रणी दिया था वो भी नगर के सबसे बड़े धूर्त पाखंडी का उस व्यक्ति ने इनकी सहायता के आड़ में इनके साथ बहुत बड़ा छल कपाट कर इनकी सम्पूर्ण सम्पत्ति चट कर ली ये दुष्ट कोई और नहीं उस सुंदरी का बूढ़ा पति ही था उसने सब कुछ लोटा देने का प्रस्ताव रखा बदले में सुंदरी के परिवार से उसका हाथ मांग लिया मगर सुंदरी के पिता ने अस्वीकार कर दिया परन्तु वो अधर्मी ना माना और सुंदरी को सपरिवार भांति भांति की यातनाए देने ...Read More