पुस्तक सुधी पाठकों के हाथों में है, और उन्हीं के हाथों में है इसकी विवेचना और व्यंजना कितना और कहाँ सफल हुआ चाहे पाठकवृंद न बताएं परंतु मेरी असफलताओं पर उंगली अवश्य रखें जिससे उनको भविष्य में दूर कर सकूँ छत्र पाल वर्मा