डिग्री, लेकिन भविष्य नहीं [Indian Education System]

               डिग्री के बाद भी बेरोज़गारी(भारतीय शिक्षा व्यवस्था की एक सच्ची कहानी)रमेश एक छोटे से गाँव में पैदा हुआ, जहाँ सपने बड़े थे लेकिन साधन बहुत छोटे। पिता दिहाड़ी मज़दूर थे और माँ दूसरों के कपड़े सिलकर घर चलाती थीं। कई रातें भूखे पेट गुज़रती थीं, मगर एक उम्मीद हमेशा ज़िंदा रहती थी—बेटा पढ़ लिख ले, पढ़ाई ही तुझे इस गरीबी से बाहर निकालेगी।रमेश ने इस बात को सच मान लिया।वह रोज़ कई किलोमीटर पैदल स्कूल जाता। किताबें पुरानी थीं, जूते फटे हुए थे, लेकिन हौसला नया था। स्कूल के बाद वह चाय की