पुरी के समुद्र से उठती नम हवा में शंखध्वनि घुली हुई थी। रथयात्रा का समय निकट था और श्रीजगन्नाथ मंदिर के प्रांगण में अद्भुत ऊर्जा थी। इसी शहर में दूर गुजरात के वापि से आया एक युवक, रवि भानुशाली, चुपचाप मंदिर की सीढ़ियों पर बैठा था। आँखों में थकान, मन में उलझन और दिल में एक ही सवाल—क्या उसकी ज़िंदगी कभी सही रास्ते पर आएगी?रवि मेहनती था, पर किस्मत बार-बार परीक्षा ले रही थी। काम छूट गया था, पैसे कम थे और परिवार की ज़िम्मेदारियाँ भारी लग रही थीं। दोस्तों ने कहा था, “पुरी जाकर जगन्नाथ जी के दर्शन कर