ट्रिपलेट्स भाग 2 लेखक राज फुलवरेअध्याय 3 : शहर पर एक ही चेहरे का आतंकभाग 1 : शहर की नींद टूटती हैरात के ठीक दो बजे थे।शहर के सबसे व्यस्त इलाके लक्ष्मी मार्केट में अचानक अफरा-तफरी मच गई।एक ज्वेलरी शॉप के बाहर भीड़ जमा थी।काँच टूटा हुआ था, अलार्म बज रहा था और अंदर एक आदमी लहूलुहान हालत में पड़ा था।दुकान का मालिक रोते हुए चिल्ला रहा था—“वो… वो आदमी… बिल्कुल उसी जैसा था… रोज़ जो ऑफिस जाता है…”भीड़ में किसी ने कहा—“अमर… या प्रेम?”शब्द हवा में तैर गया।भाग 2 : पुलिस की उलझनइंस्पेक्टर शेखर राठौड़ घटनास्थल पर पहुँचे।उन्होंने खून से