वर्शाली धीरे से कहती है--- वर्शाली :- मैं यहाँ बस आपके लिए आई हूं। वर्षाली की बात सुनकर एकांश हड़बड़ा कर कहता है। एकांश :- क क्या .... क्या ..? क्या कहा वर्शाली तुमने..? वर्शाली एकांश के कान में कहती है---वर्शाली :- हां एकांश जी मैं यहां सिर्फ आपके लिए आयी हूं। वर्शाली की आवाज इतनी धीरे थी के आलोक को सुनाई नहीं देता है। एकांश वर्षाली से पुछता है---एकांश :- पर वर्शाली वो अमृत सिर्फ यही आती है या इस धरति पर कहीं और भी आती है जिसका पता और किसीको नही है । वर्शाली :- ये अमृत की किरने सिर्फ इसी जगह पर आती है एकांश जी। और