श्रापित एक प्रेम कहानी - 23

वर्षाली हंसकर कहती हैं--वरशाली :- आपके सारे प्रश्नों का उत्तर है पर पहले आप घर के भीतर तो आईये। एकांश हैरानी से पुछता है---एकांश :- क्या घर और यहां ..? पर यहां पर तो मुझे कोई घर दिखाई नहीं दे रहा है। वर्षाली हंसने लगती है और कहती है---एकांश :- आप आओ तो सही आपको मेरा घर भी दिखने लगेगा। इतना बोलकर वर्षाली झरने की और बढ़ने लगती है। आलोक और एकांश भी वर्षाली के पीछे जाने लगता है। उधर हवेली में वृंदा रात में घटी घटना के बारे में सौच रही थी और मन ही मन बड़बड़ा रही थी----वृदां :- क्या एकांश भी