अध्याय 22 :Vedānta 2.0 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲 ईश्वर, पद, प्रसिद्धि, नाम, धर्म, विजय — पाना कोई मौलिकता नहीं है। इनमें से कुछ भी मौलिक नहीं है। कोई लक्ष्य नहीं है, कोई मंज़िल नहीं है।जीवन की मौलिकता है — स्वयं को समझना, अपनी जड़ खोजना। हमारे शरीर के दूसरे पहलू को समझना, ऊर्जा को समझना, भीतर जो घट रहा है उसे समझना — यही हमारी मूल खोज है। हमारे स्वभाव, मन और बुद्धि की ऊर्जा को जीकर समझना — यही मौलिक है।इस समझ की यात्रा में अस्तित्व तुम्हारा साथ देता है, क्योंकि यही अस्तित्व की वासना है। उसकी यही इच्छा है। यही