कोड़ा बरसाने के बाद भी बैलों का जोड़ा टस से मस नहीं हुआ तो हरमू ने आकाश की ओर देखा। पसीने से लथपथ हरमू को तब जाकर सुर्यदेव की उग्रता का भान हुआ और उसने बैलों को हल से आजाद कर दिया और खुद भी पेड़ के नीचे लेट गया। लेटे-लेटे ही हरमू ने कनखियों से दोनों बैलों और अभी चौथाई हिस्सा ही जूते खेतों की तरफ देखा। हरमू ने तम्बाकू रगड़ा और मूँह में डालकर झटके से उठ बैठा। अपनी पगड़ी ठीक की और बैलों को समझ में आनेवाली भाषा में आवाज लगाई ’आ आ आ चु चु चु।