अपनी असफलता के लिए सिर्फ भाग्य को कोसते-कोसते, वह अपने आप को हीन और तुच्छ समझने लगा था। इच्छा शक्ति की बात अब उसके मन-मस्तिष्क पर किसी कारक का काम नहीं कर रही थी। वो उठा और टेलीफोन बुथ जाकर अपने दोस्त को फोन मिलाया और कहा’’ यार विजय, मैं अजय बोल रहा हूं, अब पढ़ाई का मन नहीं कर रहा है, मैं भी आ रहा हूं तुम्हारे पास। दिल्ली में तो अकेला होगा, साथ मिलकर रहेंगे, साथ मिलकर काम करेंगे। ’’अजय को आभाष हुआ कि फोन कट गया है, लेकिन विजय फोन काटकर सोच में पड़ गया कि