सर्जा राजा – भाग 3 लेखक राज फुलवरेअध्याय 7 – नई सुबह, नया जीवनसूरज की हल्की–हल्की किरणें गाँव के कच्चे रास्तों पर फैल रही थीं। धूल की हल्की परत सुनहरी रंगत ओढ़े खेतों पर जमा थी। हवा में चारे की ताज़ी सुगंध और मिट्टी की खुशबू तैर रही थी। आज का दिन हिम्मतराव के लिए खास था—क्योंकि सर्जा और राजा पहली बार पूरे खेत का बड़ा काम संभालने वाले थे।हिम्मतराव बाहर आते ही दोनों बैलों के सामने खड़े हुए। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा—हिम्मतराव (सर्जा के सिर पर हाथ फेरते हुए):“सर्जा… राजा… आज का दिन बड़ा है। तुम दोनों सिर्फ बैल नहीं