डायरी

आज फिर एक बाऱ हाथों में पेन और और डायरी है, ऐसा नहीं की पहली बार लिख रही हूं पर जो शगल था डायरी लिखने का वह कहीं पीछे छूट गया. अपनी भावनाओं को शब्दों मे  उतारना कभी मुझे आया ही नहीं पर मन में हमेशा शब्द उथल-पुथल मचाए रहते थे उम्र बढ़ाने के साथ ही डायरी और पेन  ने हाथ थाम लिया.अपने मन को डायरी मे उतारना शुरू किया अल्हड़पन के सपने शिकायतें सभी कुछ डायरी में ऊकेरती गई, डायरी ने भी हमेशा मेरा साथ दिया मेरी खुशी मेरे आंसू मेरे सपने सब कुछ समेट लिए,डायरी मेरी सबसे अच्छी दोस्त