सेवानिवृत्ति : जीवन की दूसरी पारी — सृजन का एक सुनहरा अवसरसेवानिवृत्ति का दिन मेरे जीवन का कोई सामान्य दिन नहीं था। वर्षों तक नियमित समय पर दफ्तर जाना, जिम्मेदारियाँ निभाना और समय की पाबंदियों में बँधा रहना—सब कुछ जैसे एक ही दिन में पीछे छूट गया। उस दिन मन में अजीब-सा खालीपन था, पर उसी के साथ एक अनकहा प्रश्न भी—अब आगे क्या?अक्सर लोग सेवानिवृत्ति को जीवन का विराम मान लेते हैं, जैसे अब कुछ शेष नहीं रहा। लेकिन मैंने सदैव जीवन को एक संघर्ष और साधना के रूप में देखा है। सेवा काल में भी मैं सामाजिक सरोकारों—जल,