बिटिया — शक्ति, सृष्टि और समाज का आत्मबोध

शीर्षक : बिटिया — शक्ति, सृष्टि और समाज का आत्मबोधखंड 1 : बिटिया और पिता — जीवन की ऊर्जाथकान भरे दिन के बाद जब कोई पिता घर लौटता है और अपनी बिटिया का मुस्कुराता चेहरा देखता है, तो जीवन की सारी परेशानियाँ मानो क्षणभर में विलीन हो जाती हैं। वह मुस्कान केवल स्नेह नहीं, बल्कि जीवन की ऊर्जा होती है। रोज़ी-रोटी की चिंता, सामाजिक दबाव और दिनभर के प्रश्न उस निश्छल हँसी में कहीं गुम हो जाते हैं। उस क्षण पिता स्वयं को स्वर्ग से भी अधिक सुख में डूबा हुआ पाता है।बचपन में बिटिया के साथ बिताए गए पल—कंधों