श्रापित एक प्रेम कहानी - 20

रूम में जाकर एकांश वृंदा को सुला देता है। और वसे जाने लगता है पर वृंदा एकांश का हाथ पकड़ लेती है और निंद में बड़बड़ाती है।वृदां :- कर लो न एकांशहा  तेरे बाप का क्या जाता है। एकांश वृंदा का हाथ प्यार से छुड़ाता है और हल्की मुस्कान के साथ वहा से निकल जाता है। सुबह हो जाती है। वृंदा अभी तक सोयी हुई थी। वही हवेली के बाहर आलोक और संपूर्ण भी सोया हुआ था। आलोक का एक हाथ संपूर्णा के कुर्ती के अंदर संपूर्णा के वक्ष पर था जिससे संपूर्णा की कुर्ती उसके कमर से ऊपर था और संपूर्णा की