चार सहेलियाँशहर के एक साधारण से मोहल्ले में चार सहेलियाँ रहती थीं — आशा, पायल, नेहा और साक्षी। चारों अलग-अलग स्वभाव की थीं, लेकिन उनकी दोस्ती में एक अजीब-सी मजबूती थी, जो समय के साथ और गहरी होती चली गई।आशा सबसे बड़ी थी। जिम्मेदार, समझदार और हर बात को गहराई से सोचने वाली। घर और दोस्तों के बीच संतुलन बनाकर चलना उसे अच्छे से आता था। पायल चंचल थी, हँसमुख और हर किसी को हँसाने वाली। उसके चेहरे की मुस्कान सबसे उदास इंसान को भी खुश कर देती थी। नेहा पढ़ाई में तेज थी और अपने लक्ष्य को लेकर बहुत