उड़ान (4)

अकादमी से ट्रेनिंग कंप्लीट होने के बाद दिव्या को संयोगवश एम.पी. कॉडर ही मिल गया। क्योंकि वह उसका गृह राज्य था। सेक्रेटेरिएट में जॉइनिंग के बाद उसे एक जिला में प्रोबेशन पीरियड के अंतर्गत ट्रेनिंग के लिए भेजा दिया गया। दिव्या वहां पहुंची तो जिला मुख्यालय का वह रेस्ट हाउस बड़ा पुराना था और उसे डाक बंगले के नाम से जाना जाता था। उसकी लकड़ी की सीढ़ियाँ चरमराती थीं, दीवारें नमी से भरी हुईं। कमरा नंबर सात।दिव्या ने दरवाज़ा खोला तो हवा में फिनाइल की हल्की महक थी और खिड़की के बाहर आम का एक पेड़ झूम रहा था।उसने सूटकेस