उड़ान (3)

उसने दस-बाय-दस का एक कमरा ले लिया। एक खिड़की, एक बल्ब, एक गैस। दीवार पर नमोकार मंत्र का फोटो।पहली रात वह बिस्तर पर लेटी रही। याद आईं सारी बातें—माँ की गोद, पापा की साइकिल, भाई का हाथ, और अविनाश की वो हवाई सैर… जो सिर्फ एक रात की थी।सुबह चार बजे वह उठी। टूटे आईने में खुद को देखा।गाल पर थप्पड़ के निशान। होंठ सूजे हुए। वह धीरे से बोली—'सब ने मुझे बोझ समझा। यहाँ तक कि जिसने हवाई सैर कराई, उसने भी अगली सुबह उछाल दिया।'फिर मुस्कुराई— वह मुस्कान जो दर्द से पैदा हुई और दर्द को ही जलाए