कर्मा️ लेखक राज फुलवरे---1. शहर, अंधेरा और एक ठगशहर की एक पुरानी, बिखरी हुई बस्ती। गलियों में धुएँ की महक, चाय की भाप में मिलती हँसी, और कहीं दूर से आती भोंपू की आवाज़ें। दिन छोटे और रातें लंबी लगती थीं। लोग काम पर निकलते तो थके मन और सूखे सपनों के साथ लौटते। इन्हीं गलियों में रहता था एक युवक — विशाल।विशाल का चेहरा तेज़, आँखें चौकन्नी। चाल में वो फुर्ती थी जो चोरों में होती है। लोग उसे साधारण लड़का समझते लेकिन उसकी रातें अलग थीं। उसका पेशा — जेब काटना।और इस काम में वह इतना माहिर