नारीशक्ति

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नारीशक्तिलेखक राज फुलवरेसांझ ढल चुकी थी। जंगल के ऊपर हल्का-हल्का धुंध पसरा हुआ था। हवा में ठंडी सरसराहट थी और पत्तों की खरखराहट हर छोटे से छोटे आवाज़ को ज़िंदा कर रही थी। इसी सुनसान रास्ते पर धीरे-धीरे चलते हुए दो साये दिखाई दे रहे थे — किरण और राहुल। दोनों की धड़कनें बराबर तेज थीं, पर वजह अलग-अलग।किरण हल्के कदमों से चलते हुए कौतूहल और घबराहट के बीच झूल रही थी। वह राहुल की आँखों में देखकर धीमे से बोली,"राहुल… हमें सच में यहाँ मिलना ठीक है? अगर कोई देख लेता तो?"राहुल मुस्कुराया, उसकी आँखों में भरोसा और प्यार