श्रापित एक प्रेम कहानी - 19

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वृंदा कहती है---वृदां :- निंद ही नहीं आ रही है तो सोचा कुछ दैर तुमसे बात करलूं ।तभी चतुर नशे में बड़बड़ाता है----चतुर :- आज तो बच गया रे बाबा। ए कुम्भन तू साला गया। तूने मुझसे पंगा लिया है ना । तुझेे तो मैं गोली से उड़ा दूगां ढिसकांउउ ....इतना बोलकर चतुर फिर सो जाता है। वृंदा हैरानी से पुछती है---वृदां :- इससे क्या हो गया ? एकांश :- वो तो ऐसे ही बड़बड़ाने लगता है। वृंदा एकांश के हाथ मे ग्लास देखकर पूछती है ---वृदां :- ये क्या है एकांश ग्लास को छुपाते हूए कहता हैं--एकांश :; कक्क...कक..कुछ नहीं। वृंदा :- क्या है एकांश बोलो