सपना हुआ सच

सपना हुआ सचलेखक: विजय शर्मा एरीभाग १: गाँव की मिट्टी में बस्ता सपनाराधेश्याम का घर गाँव के आखिरी छोर पर था। लाल मिट्टी की दीवारें, खपरैल की छत, और दरवाजे पर लटकता पुराना ताला—जो सालों से खुलता ही नहीं था। राधेश्याम चौदह साल का था, लेकिन उसकी आँखों में सौ साल की थकान थी।हर सुबह वह अपने पिता के साथ खेत जाता। पिता की पीठ पर हल की रस्सी, राधेश्याम के कंधे पर पानी की मटकी। खेत में धान की पौध बोते हुए पिता कहते, “बेटा, यही हमारी जिंदगी है। मिट्टी से निकले, मिट्टी में मिल जाएँगे।”पर राधेश्याम की आँखें