अनोखी चाय

अनोखी चायलेखक: विजय शर्मा एरीशब्द संख्या: लगभग १५००गाँव का नाम था चंदनपुर। पहाड़ों की गोद में बसा यह गाँव सुबह-सुबह बादल के आगोश में लिपटा रहता। धुंध के उस पर्दे के पीछे से सूरज जब झाँकता, तो लगता जैसे कोई शरारती बच्चा माँ की साड़ी से खेल रहा हो। ठंडी हवा में चाय की भाप उड़ती, और हर घर से एक ही गंध फैलती—अदरक, इलायची और चायपत्ती की।पर आज कुछ अलग था।रामलाल चाचा की दुकान पर सुबह सात बजे भी ताला लटक रहा था। गाँव के लोग हैरान। चाचा पिछले पैंतीस साल से सुबह छह बजे दुकान खोलते थे। उनकी