मन की सफाई - आंतरिक शांति का सरल मार्ग

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मन की सफाई — आंतरिक शांति का सरल मार्ग (एक गहन आध्यात्मिक अध्याय — लेखक: हेमन्त भनगावा)राधे राधेभूमिका : मन गंदा हो जाए, तो दुनिया गंदी लगने लगती है। जिस प्रकार घर रोज़ झाड़ू–पोंछा माँगता है, उसी तरह मन भी रोज़ सफाई चाहता है। फर्क बस इतना है कि घर की धूल दिख जाती है, पर मन की धूल दिखाई नहीं देती – महसूस होती है।● थकान के रूप में● गुस्से के रूप में● बेचैनी के रूप में● उदासी के रूप में● अपनों से दूरी के रूप मेंजिस दिन मन की धूल को पहचान लिया, उसी दिन जीवन बदलने