एपिसोड – पवित्र बहूरात गहरा चुकी थी। चाँदनी खिड़की से भीतर गिर रही थी, लेकिन कमरे के माहौल में एक अनकही बेचैनी थी।चित्रा की नींद गहरी थी, चेहरे पर मासूमियत… पर दिव्यम पूरी रात सो नहीं पाया।वह शांत बैठा रहा।न उसने चित्रा का हाथ छुआ,न उसे अपना चेहरा दिखाया,न कोई नई दुल्हन जैसा प्यार का इजहार किया।सुबह होते ही घरवालों ने जब दरवाज़ा खटखटाया, सब मुस्कुराते हुए खुशियों की उम्मीद में अंदर आए।पर दिव्यम की आँखों में जो था… वह किसी ने नहीं देखा था।--- आखिर दिव्यम ने चित्रा को छुआ क्यों नहीं? क्योंकि दिव्यम अपने भीतर एक ऐसा राज़