खास बुलावाविजय शर्मा एरीउस शाम दिल्ली की सड़कें बारिश से धुली हुई थीं। नवीन ने अपनी पुरानी स्कूटर को धीरे से पार्क किया और छतरी खोलते हुए इमारत की ओर बढ़ा। चौथी मंजिल पर 'श्री गणेशाय नमः' लिखी नेमप्लेट के नीचे घंटी दबाई। दरवाजा खुला तो सामने खड़ी थीं मिसेज मेहता—साठ पार कर चुकीं, पर आँखों में अब भी सत्रह साल की चमक।"आइए नवीन बाबू। आज बहुत देर कर दी आपने।" उनकी आवाज में हल्की झिड़की थी, पर होंठों पर मुस्कान।"ट्रैफिक था आंटी।" नवीन ने जूते उतारते हुए कहा।अंदर का माहौल हमेशा की तरह था—अगरबत्ती की हल्की खुशबु, दीवार पर