अभिनेता मुन्नन

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अपने छोटे नगर के छोटे मुहल्ले मेंजब मैं छोटा था तब की याद अभी तक सपने में आकर कभी भी झकझोर जाती ही नहीं बल्किपुराने समय में बिताया समय भी बहुत बार सुन्दर सपना लगता है. आज के नजरये से    अभाव के होते होंगे पर वे क्या शानदार दिन थे,कितने आनंद के  थे उसे महसूस या याद किया जा सकता हैपर  वर्णन कर पाना असंभव है.देश की स्वतंत्रता के थोडे वर्ष बादपचास के दशक में अपना एक खुला खुला मुहल्ला था, अडोस पड़ोस के मकानों में बहुत से लोगनए बने पाकिस्तान से अपना घर बार, खेत खलियान, दुकान, मकान ज़मींन-