अध्याय 17- विज्ञान, धर्म और सभ्यता का अंधकार और जीवन का सत्यविज्ञान, धर्म और सभ्यता —तीनों आज मानव जीवन के प्रमुख आधार हैं। तीनों आवश्यक भी हैं, परंतु त्रुटिपूर्ण हैं क्योंकि तीनों में “दृष्टि” नहीं है। ये अंधकार में चल रहे मार्गदर्शक हैं — बिना विवेक के साधन, निष्क्रिय नियम और आडंबरपूर्ण सभ्यता।विज्ञान: साधन या भ्रमविज्ञान जीवन का अंग है, उसकी उपयोगिता अनिवार्य है उसके दो पहलू हैं —उत्पादन करने वाला (निर्माता)उपयोग करने वाला (उपभोक्ता)परंतु दोनों विवेकहीन हैं। जैसे अग्नि जीवन भी देती है और संहार भी करती है, वैसे ही विज्ञान भी वरदान और अभिशाप दोनों है। मोबाइल इसका उदाहरण है —