श्रापित एक प्रेम कहानी - 16

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एकांश कहता है-----एकांश :- अरे वाह शेम्पु समोसा लेकर आ गई वहां टेबल में रख दो । इतना बोलकर एकांश पिछे मुड़ता है। तो वृंदा को दैख कर वो घबरा जाता है और अपने हाथ से अपने छाती को ढकने लगता है । एकांश हकला कर कहता है----एकांश :- तू...तू...तू...तू...तुम..! तुम यहां कैसे ? वृंदा हंसती हुई बेड से चादर उठा कर एकांश को देता है और कहती है----- वृदां :- ये लो और ढक लो अपने नंगे सरिर को। एकांश बेड शीट लेता है और अपने शरीर को ढकने लगता है। वृंदा हंसती हुई कहती है--–वृदां :- लड़का होके इतना शर्मा क्यूं रहे हो..?