वृंदा अंजान बनाते हैं पूछती हैं---वृदां :- अच्छा संपूर्णा आज पार्टी किस खुशी में दी जा रही है। संपूर्णा कहती है----संपूर्णा :-- हां हां.. अब ज्यादा बनो मत चल मुझे पता है तुम सब क्यूं पुंछ रही है। वृंदा पुछती है--वृदां :- क्या पता है तुझे? संपूर्णा कहती है---संपूर्णा: - यही जो तू सुनना चाहती है के भाई वापस आ गया है। वृंदा कहती है ----वृदां :- तुझे कैसे पता के मैं यही पूछने वाली हूँ ।संपूर्णा कहती है----सपूर्णा :- तेरी आँखों की चमक बता रही है पगली। इसिलिए तो तुझे वहा दौ दिन और रखने का परमिशन भी ले लिया है। ताकी तू