तेरे मेरे दरमियान - 35

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अशोक :- अब अंकल नही , पापा बोलो दामाद जी ।आदित्य :- जी पापा , आईए बेठिए ना ।अपने पापा को दैखकर जानवी भी उठ जाती है तो अशोक कहता है --अशोक :- अरे बेटा तुम क्यो उठ रही हो , दामाद जी इतने प्यार से तेरे लिए नास्ता बनाया है , इसे बिना खाये मत उठना ।जानवी अपने के पापा के बात को सुनकर वही बैठ जाती है । और खाने लगती है , जानवी को खाना बहोत ही स्वादिष्ट लगता है । और मजे लेकर खाने लगती है दिसे दैखकर अशोक खुश हो रहा था । खाते खाते