अन्तर्निहित - 20

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[20]“तो वत्सर, आगे क्या हुआ? बताओ।” सारा ने पूछा। वत्सर ने गहन सांस ली। अभी भी उसकी दृष्टि व्योम में स्थिर थी। “मैंने उस स्वर, उस व्यक्ति और उन शब्दों को पहचान ने का, उसका स्मरण करने का तीव्र प्रयास किया किन्तु मैं विफल रहा।” क्षण भर वत्सर रुका। उसके मुख के भाव बताया रहे थे कि वह समय की उस क्षण से कुछ खोज रहा हो। विफलता मुख पर स्पष्ट प्रकट गई थी।“पश्चात अनेक दिन बिना स्वप्न के व्यतीत हो गए। धीरे धीरे स्वप्न का विस्मरण होने लगा। कुछ दिनों के पश्चात नया स्वप्न आया।”“क्या था उस नए स्वप्न में?” शैल