[19]संध्या हो गई। शैल, सारा, वत्सर और येला एक कक्ष में जमा हो गए। शैल ने सारा का स्वागत स्मित के साथ किया। उसे देखकर सारा को अच्छा लगा। ‘क्या शैल ने मुखे क्षमा कर दिया? अथवा?’ स्मित को देखकर सारा ने विचार किया। सारा आगे विचार न कर सकी। समय की प्रतीक्षा करने लगी। “येला, चलो उस शिल्प को दिखाओ।” शैल ने कहा।“आओ मेरे साथ।” येला सभी को लेकर उस शिल्प के पास आ गई।शिल्प को देखकर शैल तथा सारा एक साथ बोल पड़े, “अद्भुत।” दोनों उसे देखते ही रह गए। “यह देखकर विश्वास ही नहीं हो रहा है।” सारा ने कहा। “किन्तु यह