इंतेक़ाम - भाग 25

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रोमी के बोले शब्द विजय के दिमाग में घूम रहे थे आज वह अकेले में बैठ कर बहुत रोया और भगवान से अपने किए की माफी मांगने लगा, आज उसे अपने बच्चों और निशा की बहुत याद आ रही थी, वह चाहता था कि निशा वापस आ जाए उसके बच्चे भी आ जाए तो वह उनके साथ हंसी-खुशी रहे, क्यों वह दौलत कमाने के चक्कर में इतना अंधा हो गया कि अपने बीवी बच्चों का दुख भी नहीं देख पाया उसके जीवन पर धिक्कार है धिक्कार है ऐसे जीवन पर ,लेकिन अब उसके पास कोई रास्ता नहीं था क्योंकि उसने