शशिमुखी

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रानी शशिमुखी… सोलह वर्ष की कोमल कली, जिसकी आँखों में सागर-सी गहराई थी और मन में भक्ति की ज्योति।राजा रयशिह — अठारह का, रणभूमि में विजयी, कठोर अनुशासन वाला पर भीतर से नर्म।जब शशिमुखी उसके सामने आती, तो उसकी सारी कठोरता जैसे पिघल जाती; वो बस एक साधारण मनुष्य रह जाता — एक ऐसा जो उस लड़की की मासूम हँसी, उसकी नमी भरी आँखों और उसके भोलेपन में खो जाता।शादी के बाद जब शशिमुखी को उस एकांत महल में भेजा गया, तो वो अकेली नहीं थी — उसके भीतर था उसका विश्वास, उसका प्रेम, उसकी पूजा।राजा दूर था, मगर उसका