कुण्डलिनी विज्ञान — भाग 6 अध्याय 17— विशुद्धि चक्र शब्द का रूपांतरण विज्ञान(Sound → Vibration → Satyam → Maun) --- ◉ स्थान कंठ-मध्य —जहाँ वाणी जन्म लेती है। ◉ तत्व आकाश —स्पंदन की अनंतता ◉ दल (पंखुड़ी) १६ —शब्द के 16 रूप —(बोल, गान, उच्चारण, मन्त्र… आदि) ◉ रंग नीला / आकाशीय नीला —शांति, विशालता, स्वीकार --- स्वभाव-विज्ञान यहाँ ऊर्जाशब्द बनती है —वाणी, ध्वनि, गान, उच्चारण, संवाद। यही मनुष्य और पशु कासच्चा अंतर है: पशु महसूस करता है —मनुष्य कह देता है। पर यहीं सबसे बड़ा भ्रम —कहने वालाअपनी वाणी को सत्य मान लेता है। --- यदि मन बीच में आ जाए वाणी → शोरसत्य → तर्कशब्द → छलज्ञान → अहंकारउपदेश → प्रदर्शन यही धर्म