अब तक आपने देखा होगा कि निधि कैसे एक लड़की को जन्म देती है । जहां से कहानी की शुरुआत हुई कहानी का भाग दिखाते हैंतो शुरुआत करते हैं जहां से निधि और सुधांशु की जीवन की नई शुरुआत हुईशादी की लंबी रस्में पूरी हो चुकी थीं। सजी-धजी, आँखों में अनगिनत सपने और होंठों पर हल्की-सी मुस्कान लिए निधि जब विदाई की कार में बैठी, तो मन में सिर्फ एक ही बात थी—“अब मेरा अपना घर… अपना परिवार…”निधि को क्या पता था कि जिस घर को वह ‘अपना’ सोचकर चली आ रही है—वहीं से उसके धैर्य और सहनशीलता की पहली परीक्षा