पर्यटन: एक खुली पाठशाला मनुष्य का स्वभाव जिज्ञासु प्रवृत्ति का रहा है। आदिकाल से ही मनुष्य पर्यटन करता रहा है। इस पर्यटन के पीछे भी जिज्ञासु प्रवृति ही है। किसी चीज का वास्तविक ज्ञान प्राप्त करने के लिए उसको प्रत्यक्ष देखना आवश्यक है। घर बैठे बैठे हम काल्पनिक ज्ञान ही प्राप्त कर सकते है लेकिन यथार्थ स्वरूप का ज्ञान तो प्रत्यक्ष देखने से ही प्राप्त होता है। अतः भौगोलिक, ऐतिहासिक, पुरातात्विक, राजनैतिक, आर्थिक एवं सामाजिक ज्ञान की वृद्धि के लिए पर्यटन अवश्य करना चाहिए। जो व्यक्ति जितना अधिक पर्यटन करता है उसका ज्ञान एवं अनुभव उतना ही अधिक यर्थाथ होता