अध्याय 12 -धर्म का विज्ञान — करुणा का विरोध लेखक: — 𝓐𝓰𝔂𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲 --- अध्याय अ — धर्म और विज्ञान का द्वंद्व : करुणा की भूमिका --- सूत्र 1: धर्म ने जो देखा, उसे पूजा बना दिया;विज्ञान ने जो देखा, उसे प्रश्न बना दिया।दोनों ही देख रहे थे — पर दिशा अलग थी। व्याख्या:धर्म ने अनुभूति को श्रद्धा में बदला, विज्ञान ने उसे सिद्धांत में।धर्म ने अनुभव को स्थिर कर दिया, विज्ञान ने उसे गतिशील रखा।और इसीलिए दोनों अधूरे रह गए — एक ने “क्यों” छोड़ दिया, दूसरे ने “कौन” भूल गया। --- सूत्र 2: धर्म जब बिना अनुभव के चलता है, तो पाखंड बनता